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एयरलाइन्स को सरकार से मिला बूस्टर, ECLGS स्कीम में कर्ज सीमा बढ़ने से मिलेगा फायदा

नई दिल्ली: महामारी के बाद रिकवरी की कोशिश में लगे एविएशन सेक्टर के सरकार की तरफ से बड़ा बूस्टर मिला है. सरकार ने ईसीएलजीएस स्कीम में संशोधन के जरिए सेक्टर के लिए कर्ज की सीमा बढ़ा दी है. जिससे रिकवरी के लिए एयरलाइंस को जरूरी फंडिंग मिल सकेगी.

वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी है कि कोविड-19 महामारी से प्रभावित विमानन उद्योग को नकदी संकट से उबारने में मदद करने के लिए आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ECLGS) में संशोधन किया है. मंत्रालय ने इस योजना के तहत कर्ज की सीमा 400 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,500 करोड़ रुपये कर दिया है.

इस संबंध में सरकार के द्वारा जारी बयान के अनुसार, वित्तीय सेवा विभाग ने यह मानते हुए कि देश के आर्थिक विकास के लिए एक कुशल और मजबूत नागरिक उड्डयन क्षेत्र महत्वपूर्ण है.एयरलाइनों के लिए अधिकतम ऋण राशि की पात्रता बढ़ाने के लिए ईसीएलजीएस में संशोधन किया है.

संशोधित ईसीएलजीएस 3.0 के अनुसार, एयरलाइन कंपनियों की पात्रता उनकी निधि-आधारित या गैर-निधि-आधारित ऋण का 100 प्रतिशत या 1,500 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, के आधार पर तय होंगी. वहीं, 30 अगस्त 2022 को जारी ईसीएलजीएस के परिचालन दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित अन्य सभी मानदंड, नियम और शर्तें पहले की तरह ही लागू रहेंगी.

बयान के अनुसार, संशोधनों का उद्देश्य विमानन कंपनियों को वर्तमान नकदी प्रवाह की समस्याओं से निपटने के लिए उचित ब्याज दरों पर आवश्यक गिरवी-मुक्त नकदी की सुविधा देना है. इससे पहले मार्च 2022 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2022-23 में की गई घोषणा को लागू करने के लिए ईसीएलजीएस की अवधि को मार्च 2022 से बढ़ाकर मार्च 2023 कर दिया गया था.

महामारी से बुरी तरह प्रभावित एविएशन सेक्टर फिलहाल रिकवरी की कोशिश कर रहा है. उड़ानों से सभी तरह के प्रतिबंध हटने के साथ ही सेक्टर में ग्रोथ दिख रही है. हालांकि कच्चे तेल के महंगे होने से एटीएफ की बढ़ती लागत से एयरलाइंस अभी भी जूझ रही है. उम्मीद है कि सरकार से मिलने वाली राहत के बाद एविएशन सेक्टर को अपने ऑपरेशंस को कारगर तरीके से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.

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