नई दिल्ली : कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक (heart attack) के बढ़ते खतरे को लेकर विशेषज्ञ चिंतित हैं। पिछले कुछ वर्षों के 40 से कम आयु के कई लोगों की हार्ट अटैक के कारण मौत भी हो चुकी है। आश्चर्यजनक बात यह भी है कि हार्ट अटैक के मामले उन लोगों में भी रिपोर्ट किए जा रहे हैं, जो अक्सर जिम जाते रहे हैं और फिटनेस को लेकर अलर्ट रहते थे। कुछ अध्ययनों में वैज्ञानिकों (scientists) ने पाया कि कोविड-19 संक्रमण का हृदय पर गंभीर दुष्प्रभाव हुआ है, जिसकी वजह से भी इस तरह के केस में बढ़ोतरी आ गई है। फिलहाल, डॉक्टर्स (doctors) का कहना है कि चूंकि हार्ट अटैक के मामले सभी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं ऐसे में इससे बचाव को लेकर विशेष सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता है।
हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं, बढ़ते जोखिमों (risks) को ध्यान में रखते हुए न सिर्फ हृदय रोगों से बचाव के उपाय करते रहना आवश्यक है, साथ ही हार्ट अटैक आने पर तुरंत क्या किया जाना चाहिए इस बारे में भी सभी लोगों जरूर जानना चाहिए। सीपीआर जैसे उपायों को प्रयोग में लाकर हार्ट अटैक के बाद भी लोगों की जान बचाई जा सकती है।
कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि हार्ट अटैक के बाद तुरंत सीपीआर देकर रोगी को खतरे से बचाया गया है। आइए जानते हैं कि सीपीआर कैसे दिया जाना चाहिए और यह कितना कारगर साबित हो सकती है?
कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक जीवन रक्षक तकनीक है जो हार्ट अटैक जैसी आपात स्थितियों में काफी उपयोगी है। दिल का दौरा पड़ने या डूबने के बाद सांस न आने की स्थिति में सीपीआर देकर रोगी के शरीर में रक्त और ऑक्सीजन (oxygen) का संचार किया जा सकता है। हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं, अगर सही तकनीक से सीपीआर दिया जाए तो इससे रोगी की जान बचाई जा सकती है।
हृदय रोग विशेषज्ञ (cardiologist) कहते हैं, सीपीआर जैसी जीवन-रक्षक तकनीक के बारे में लोगों को जागरूक करके हार्ट अटैक के कारण होने वाली मौत के खतरे को कुछ हद तक कम करने में मदद मिल सकती है। हार्ट अटैक के बाद यह प्रारंभिक स्तर पर आवश्यक उपाय है।
डॉक्टर्स बताते हैं, हार्ट अटैक के बाद हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित हो जाती है, रक्त और ऑक्सीजन का संचार बाधित हो जाता है। ऐसे में सीपीआर तकनीक के माध्यम से छाती को दबाकर पूरे शरीर में रक्त के प्रवाह को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। सीपीआर के माध्यम से रोगी के शरीर में ऑक्सीजन को व्यवस्थित रखकर मल्टीऑर्गन फेलियर (multiorgan failure) के जोखिम को कम किया जा सकता है।
सीपीआर के तुरंत बाद विशेषज्ञ से संपर्क करना बहुत आवश्यक हो जाता है। सीपीआर, कृत्रिम तौर पर शरीर में रक्त के संचार को बनाए रखने का एक आपात उपाय है।
डॉक्टर बताते हैं सीपीआर देने की एक विशेष तकनीक होती है। इसमें हार्ट अटैक जैसी आपात स्थिति में 100-120/मिनट की दर से 30 छाती को दबाने पर ध्यान दिया जाता है। इसके लिए दोनों हाथों को इस प्रकार से जोड़ें जिससे हथेली का निचला हिस्सा छाती पर आए। इसे हथेली को छाती के केंद्र के निचले आधे हिस्से पर रखकर दबाएं।
छाती को 5 सेमी तक संकुचित करें। बहुत तेज दबाव भी न डालें। इस कृत्रिम विधि से हृदय को रक्त पंप करने में मदद मिलती है, जिससे शरीर के अंगों को ऑक्सीजन युक्त रक्त मिलता है।
हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को हार्ट अटैक का कारण बनने वाली स्थितियों से बचाव करते रहने की आवश्यकता होती है। किसी भी व्यक्ति को हार्ट अटैक आए तो तुरंत सीपीआर की मदद से उसे रक्त को पंप करने में मदद करें। यदि आपको हार्ट अटैक आ चुका है तो इससे भविष्य (Future) में बचे रहने के लिए कोलेस्ट्रॉल जैसे कारकों को कम करने वाले उपाय करें। सीपीआर की सही तकनीक के बारे में जानने के लिए किसी नजदीकी हृदय रोग विशेषज्ञ से जरूर मिलें।