मध्य प्रदेशराज्य

वन्य-प्राणियों की सुरक्षा पावन उद्देश्य, मनुष्य भी दिक्कत में न आएँ : मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वन्य-प्राणी और मनुष्य दोनों का अस्तित्व और सुरक्षा महत्वपूर्ण है। इस कार्य में ऐसा समन्वय होना चाहिए कि किसी भी पक्ष को हानि न हो। मुख्यमंत्री चौहान ने सरदारपुर और सैलाना क्षेत्र में दुर्लभ पक्षी खरमोर के संरक्षण के लिए नागरिकों में जागरूकता की जरूरत बताई। इसी तरह सोन चिड़िया के संरक्षण के लिए भी सरकार और समाज मिल कर प्रयास करेंगे तो मध्यप्रदेश की वन्य-प्राणी संरक्षण की पहचान को बनाए रखने में सहयोग मिलेगा। मुख्यमंत्री चौहान मंत्रालय में मध्यप्रदेश राज्य वन्य-प्राणी बोर्ड की 23वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे।

वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल और बोर्ड के सदस्य उपस्थित थे। मुख्यमंत्री का बोर्ड के सभी सदस्यों ने प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीका से चीतों को लाकर उनके प्रतिस्थापन का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न करने पर खड़े होकर स्वागत कर आभार माना।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि वन्य-प्राणियों की सुरक्षा पवित्र उद्देश्य है। साथ ही यह भी देखना आवश्यक है कि वन्य-प्राणियों की संख्या में इस तरह भी वृद्धि न हो कि मानव समाज को असुविधा हो। आवश्यक संतुलन की स्थिति होना चाहिए। इसके लिए वन क्षेत्र में वन्य-प्राणियों की संख्या के संबंध में क्षेत्रवार पृथक-पृथक अध्ययन किया जाए।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए चीतों की पुनर्स्थापना के संबंध में चर्चा हुई। बताया गया कि अफ्रीका से हवाई मार्ग द्वारा लाए गए चीतों को कूनों राष्ट्रीय उद्यान में वातावरण रास आ रहा है। इन्हें बड़े बाड़ों में ले जाने का कार्य प्रोटोकाल के अनुसार करने और अनुकूल हेबिटेट बनाए रखने के प्रयास निरंतर किए गए हैं। बोर्ड के सदस्य अभिलाष खांडेकर ने कहा कि यह कार्य वैश्विक स्तर पर सराहा गया है। खांडेकर ने कहा कि मध्यप्रदेश में वन्य-प्राणी संरक्षण की दिशा में मुख्यमंत्री चौहान की रूचि और केन्द्र एवं राज्य के संयुक्त प्रयासों से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीतों का प्रवेश करवाया गया, जो ऐतिहासिक घटना है। उन्होंने बोर्ड सदस्यों से आग्रह किया कि इसके लिए अपने स्थान पर सभी सदस्य खड़े होकर मुख्यमंत्री चौहान ने प्रति आभार व्यक्त करें। बोर्ड के सदस्यों ने करतल ध्वनि के साथ खड़े होकर मुख्यमंत्री चौहान का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी। बताया गया कि मध्यप्रदेश बाघ और तेंदुए के साथ ही चीता प्रदेश भी हो गया है।

जबलपुर के निकट डुमना क्षेत्र में टाइगर सफारी के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। बोर्ड के सदस्य डॉ. सुरेंद्र तिवारी ने जापान की तरह मध्यप्रदेश में वन क्षेत्रों में फारेस्ट बाथ की व्यवस्था का सुझाव दिया। जिसमें वन क्षेत्र में कुछ दिन के लिए प्रवेश के लिए अनुमति देकर रहवास और भोजन की व्यवस्था की जाती है। पर्यटक या वन्य-प्राणी प्रेमी को निर्धारित शुल्क पर संगीतमय और प्राकृतिक वातावरण मिलने से हृदय रोग, रक्तचाप और मधुमेह जैसे रोगों में आराम मिलता है। मुख्यमंत्री चौहान ने इस सुझाव को अभिनव बताते हुए इस पर विचार करने के निर्देश वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को दिए। नौरादेही अभयारण्य एवं वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के विकास से संबंधित प्राप्त सुझावों पर भी चर्चा हुई। वन्य-प्राणी चिकित्सकों के एक पृथक संवर्ग के वन विभाग में संविलियन के संबंध में भी विचार विमर्श हुआ। इसी तरह रातापानी अभयारण्य को रातापानी टाइगर रिजर्व घोषित करने के संबंध में प्रचलित कार्यवाही की जानकारी दी गई। इस कार्य के लिए क्षेत्र के जन-प्रतिनिधियों के अभिमत के अनुरूप प्रस्ताव तैयार किया गया है।

विचार-विमर्श के बाद संजय टाइगर रिजर्व सीधी अंतर्गत कटनी-सिंगरौली रेलवे लाइन की दोहरीकरण योजना के कार्य क्षेत्र में सिग्नल और टेलीकम्यूनिकेशन कार्य के लिए आवश्यक अनुमति प्रदान की गई। इसी तरह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया अंतर्गत बल्हौड़ ग्राम समूह जल प्रदाय योजना के लिए भूमिगत पाइप लाइन के उद्देश्य से वन्य-प्राणी क्षेत्र के लिए आवश्यक अनुमति प्रदान की गई। बोर्ड की 22वीं बैठक में लिए गए निर्णयों के पालन प्रतिवेदन की जानकारी भी दी गई।

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