राष्ट्रीय

भारत सरकार का ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट पर कडा रुख , जमीनी हकीकत से अलग है रिपोर्ट

नई दिल्ली : केंद्र ने शनिवार को कहा कि गलत सूचना सालाना जारी करना ग्लोबल हंगर इंडेक्स की पहचान है। कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ, क्रमश: आयरलैंड और जर्मनी के गैर-सरकारी संगठनों द्वारा जारी ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2022 ने भारत को 121 देशों में 107 वें स्थान पर रखा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक बयान में कहा- सूचकांक भूख का एक गलत माप है और गंभीर कार्यप्रणाली मुद्दों से ग्रस्त है। सूचकांक की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और पूरी आबादी का प्रतिनिधि नहीं कर सकते हैं। चौथा और सबसे महत्वपूर्ण संकेतक अनुमान कि कुपोषित (पीओयू) आबादी का अनुपात 3,000 के बहुत छोटे नमूने के आकार पर किए गए एक जनमत सर्वेक्षण पर आधारित है।

मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट न केवल जमीनी हकीकत से अलग है, बल्कि विशेष रूप से कोविड महामारी के दौरान आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को जानबूझकर नजरअंदाज करने का विकल्प चुनती है।

एक आयामी ²ष्टिकोण लेते हुए, रिपोर्ट भारत के लिए 16.3 प्रतिशत पर कुपोषित (पीओयू) जनसंख्या के अनुपात के अनुमान के आधार पर भारत की रैंक को कम करती है। एफएओ का अनुमान गैलप वल्र्ड पोल के माध्यम से आयोजित ‘खाद्य असुरक्षा अनुभव स्केल (एफआईईएस)’ सर्वेक्षण मॉड्यूल पर आधारित है, जो ‘3000 उत्तरदाताओं’ के नमूने के आकार के साथ ‘8 प्रश्नों’ पर आधारित ‘ओपिनियन पोल’ है।

एफआईईएस के माध्यम से भारत के आकार के देश के लिए एक छोटे से नमूने से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग भारत के लिए पीओयू मूल्य की गणना करने के लिए किया गया है जो न केवल गलत और अनैतिक है, बल्कि यह स्पष्ट पूर्वाग्रह का भी संकेत देता है। बयान में कहा गया है कि ग्लोबल हंगर रिपोर्ट, कंसर्न वल्र्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ की प्रकाशन एजेंसियों ने स्पष्ट रूप से रिपोर्ट जारी करने से पहले उचित परिश्रम नहीं किया है।

मंत्रालय ने कहा कि जुलाई 2022 में एफआईईएस सर्वेक्षण मॉड्यूल डेटा के आधार पर इस तरह के अनुमानों का उपयोग नहीं करने के लिए एफएओ के साथ मामला उठाया गया था क्योंकि इसका सांख्यिकीय आउटपुट योग्यता पर आधारित नहीं होगा। हालांकि इस बात का आश्वासन दिया जा रहा था कि इस मुद्दे पर और बातचीत होगी, इस तरह के तथ्यात्मक विचारों के बावजूद ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट का प्रकाशन खेदजनक है।

Related Articles

Back to top button