गांधीनगर: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को कहा कि रक्षा का अर्थ केवल वर्दी, लाठी, बंदूक या सीमा पर सुरक्षा ही नहीं बल्कि आपदा के वक्त समाज की रक्षा करना भी रक्षा शक्ति के दायित्व में निहित है। पटेल ने गुजरात में गांधीनगर के लवाद स्थित भारत के अग्रणी राष्ट्रीय सुरक्षा और पुलिस यूनिवर्सिटी के रूप में विख्यात राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी (आरआरयू) के दूसरे दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी समय के साथ रक्षा क्षेत्र में बढ़ रही चुनौतियों के सामने कुशल मानव बल तैयार करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2009 में रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी थी और आज मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निरंतर समर्थन से गुजरात की रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने कानून व्यवस्था के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं, रक्षा, शक्ति और फॉरेंसिक विज्ञान लैब को जोड़कर इस क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया है। यह यूनिवर्सिटी पुलिस विज्ञान में डिप्लोमा, यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट में स्नातक और साइबर सुरक्षा में बी.टेक. जैसे कई पाठ्यक्रमों के माध्यम से देश में सुरक्षा इकोसिस्टम विकसित कर रही है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से बनी यह यूनिवर्सिटी देश की एक ऐसी यूनिवर्सिटी है, जो रक्षा क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करने के साथ ही श्रेष्ठ प्रशिक्षण भी प्रदान कर रही है। चालू वर्ष के दौरान अरुणाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल्द ही आरआरयू के कैम्पस शुरू किए जाएंगे। इन कैम्पसों के शुरू होने से पूर्वोत्तर भारत में रक्षा और पुलिसिंग जैसे विषयों पर अध्ययन काफी आसान हो जाएगा।
उन्होंने विद्यार्थियों का अभिवादन करते हुए उपाधि प्राप्त करने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए समाज में अधिक से अधिक युवाओं और महिलाओं को जागरूक कर आंतरिक सुरक्षा में आगे बढ़कर हिस्सा लेकर भारत माता की रक्षा करने का आह्वान किया।
राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी के कुलपति बिमल पटेल ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी प्रशिक्षण, शोध, शिक्षा और सुरक्षा से संबंधित सभी क्षेत्रों में वर्ष 2047 तक आत्म-सुरक्षित भारत का संकल्प सिद्ध कर, वैश्विक लीडर बनने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। यूनिवर्सिटी ने केंद्रीय तथा राज्य सशस्त्र बलों के सुरक्षाकर्मियों और रक्षा क्षेत्र के अधिकारियों सहित लगभग दस हजार व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया है। इसके अलावा, अफ्रीका, एशिया और यूरोप के विभिन्न 41 देशों के 400 अधिकारी भी संस्था में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी भी शुरू की है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी ने 35 फीसदी महिला कर्मचारियों को रोजगार प्रदान कर महिला सशक्तीकरण का उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह संस्था राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निजी सुरक्षा कंपनियों के साथ भागीदारी कर सुरक्षा के लिए 21 लाख सुरक्षाकर्मियों की जरूरत को पूरा करने के लिए सहयोग करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार जल्द ही रक्षा शक्ति स्कूल शुरू करेगी, इस संबंध में कार्य प्रगति पर है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लगभग एक हजार युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और 650 युवाओं को रोजगार भी दिया गया है।