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सीरिया में खुदाई में मिला मंदिर 1600 वर्ष पुराना, हजारों साल बाद भी इसका फर्श एकदम नया

रस्तन । पश्चिम एशिया में पिछले 11 साल से युद्ध और आतंकवाद की विभीषिका झेल रहे सीरिया (Syria) में हाल ही में करीब 1,600 साल पुरानी एक इमारत (building) मिली है। पुरातत्व और संग्रहालय विभाग (Department of Archeology and Museums) की ओर से कराई गई खुदाई में मिले सदियों पुराने ऐतिहासिक मोजेक को मंदिर (Temple) होने का अनुमान जताया जा रहा है। पुरातत्ववेत्ताओं ने बताया कि हजारों साल बाद भी इसका फर्श एकदम नया दिखाई देता है।

हालांकि पूर्व में इंडोनेशिया, वियतनाम, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अन्य देशों में भी मंदिरों को खोजा गया है। लेकिन सीरिया में मिला यह प्राचीन मंदिर पुरातत्व विभाग के लिए दुर्लभ कामयाबी मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि ये मोजेक रोमन काल में बनाया गया है। रिपोर्ट की मानें तो सीरिया के तीसरे सबसे बड़े शहर होम्स के करीब रस्तन में यह मोजेक मिला है।

युद्ध प्रभावित सीरिया में करीब एक दशक से जारी हमलों में कारण यहां के कई पुरातात्विक खजाने क्षतिग्रस्त हो गए हैं। फिलहाल इस नायाब नमूने में कुछ प्राचीन लड़ाकों को भी दिखाया गया है। यह मोजेक करीब 1,300 स्क्वायर फुट में फैला हुआ बताया जा है। ये मोजेक एक पुरानी बिल्डिंग के अंदर दबा हुआ था।

रोमन देवताओं की पूजा के सुबूत
सीरिया में खोजे गए इस मोजेक के ऊपर रोम के देवताओं का भी चित्रण किया गया है। ऐसे में ये अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां पर कभी मंदिर हुआ करता था, और यहां रहने वाले लोग रोमन देवताओं की पूजा किया करते थे।

खुदाई का काम अभी बाकी: निदेशक
विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. ह्यूमन साद ने बताया कि इस मोजेक पर नेपच्यून, प्राचीन रोमन समुद्र के देवता और उनकी 40 संगिनियों का चित्रण है। डॉ. साद ने कहा कि हम इस बात का अब तक पता नहीं लगा पाए हैं कि ये मोजेक किस तरह की इमारत पर बने हैं। खुदाई का काम अभी पूरा नहीं हुआ है ऐसे में आगे यहां से कुछ और दुर्लभ चीजें मिलने के साथ और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

खत्म हो रही ऐतिहासिक पहचान को बचाने की मुहिम
गौरतलब है कि एक दशक से ज्यादा की लड़ाई में यहां के लाखों मूल निवासी विस्थापित हो चुके हैं। 11 सालों में भुखमरी और बीमारियों से लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। लंबे समय से युद्ध और भूख की विभीषिका झेल रहे इस देश में हुई अबतक की लड़ाई और खूनी संघर्षों में देश की कई धरोहरों को या तो लूट कर बेच दिया गया या फिर उन्हें ध्वस्त कर दिया गया था। अब बीते कुछ सालों से यहां की सरकार कुछ क्षेत्रों को बचाने और फिर से बसाने की कोशिश कर रही है।

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