उत्तर प्रदेशलखनऊ

डॉक्टर-नर्स की लापरवाही, काटना पड़ा बच्ची का पैर

hospital-569012f69a37b_exlstडॉक्टरों और स्टाफ नर्स की लापरवाही के चलते महज तीन माह की मासूम बच्ची की जिंदगी बर्बाद हो गई। गलत विगो लगाने के चलते फैले संक्रमण के कारण उसका पैर काटना पड़ा। मामला डफरिन अस्पताल का है। तबीयत खराब होने पर उसे डफरिन अस्पताल के एनआईसीयू में भर्ती कराया गया था।

परिवारीजनों का आरोप है कि स्टाफ नर्स के गलत विगो लगाने के कारण बच्ची का पैर नीला पड़ने लगा था। इसकी सूचना स्टाफ नर्स को दी गई, जिसे उसने अनसुना कर दिया। हंगामा करने पर डॉक्टर आए जरूर, लेकिन देखकर चले गए।

चार दिन तक बच्ची को यहीं भर्ती रखा, फिर ड्राईगैंगरीन की बात कहकर केजीएमयू ले जाने को कह दिया। वहां जांच और इलाज चला, पर हालत नहीं सुधरी। संक्रमण का खतरा बढ़ता देख बच्ची का पैर काटना पड़ा।

परिवारीजनों ने मामले की शिकायत सीएमओ, स्वास्थ्यमंत्री, और अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत कर लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों के खिलाफ जांच कराने की मांग की है।

चौक के हुसैनाबाद में दौलतगंज निवासी रामबाबू बाजपेई की पत्नी पूजा ने तीन अक्तूबर को सामान्य प्रसव से डफरिन में बच्ची को जन्म दिया था। तीन दिन बाद जच्चा-बच्चा को डिस्चार्ज कर दिया गया। 12 अक्तूबर को नवजात को उल्टी-दस्त की शिकायत पर रात करीब आठ बजे एनआईसीयू में भर्ती कराया गया। बच्ची के कटे पैर और मासूम चेहरे को निहारते पिता रामबाबू फफक पड़े।

उन्होंने ‘अमर उजाला’ को बताया कि इलाज शुरू हुआ। ड्रिप चढ़ाने के लिए स्टाफ नर्स ने दाहिने पैर में विगो लगाया। कुछ देर बाद पैर की अंगुलियां नीली पड़ने लगीं। नर्स को बताया तो उसने कहा, कुछ देर बाद ठीक हो जाएगा। रात साढ़े ग्यारह बजे के करीब पैर घुटने तक नीला पड़ गया।

स्टाफ नर्स से बहस हुई तो डॉक्टर को बुलाया गया। डॉक्टर आया, पर देखकर चला गया। चार दिन बाद तक हालत जस की तस बनी रही। 16 अक्तूबर को डॉक्टरों ने केजीएमयू ले जाने को कह दिया।

अगले दिन केजीएमऊ के एनआईसीयू में बच्ची को भर्ती कराया। 17 अक्तूबर से 16 नवंबर तक यहां इलाज चला। डॉक्टरों ने बताया कि इंफेक्शन के कारण पैर में सेप्टिक हो गया है और पैर काटना पड़ेगा। दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि 17 नवंबर को बच्ची का पैर काट दिया गया।

इस पर डफरिन अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मंजुल बहार का कहना है कि बच्चे का जन्म डफरिन अस्पताल में हुआ था। स्वस्थ्य हालत में जच्चा-बच्चा को डिस्चार्ज कर दिया गया था। दिक्कत होने पर उसे भर्ती कराया गया। पैर नीला पड़ने पर उसे केजीएमयू रेफर किया गया। विगो लगाने से किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई थी।

केजीएमयू में एमआरआई जांच में धमनिया ब्लॉक थीं, जिससे रक्त प्रवाह नहीं हो रहा था और पैर नीला पड़ गया। इस वजह से पैर काटा गया। अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ की कोई लापरवाही नहीं है।

मामला गंभीर, जांच होगी
वहीं, सीएमओ डॉ. एसएनएस यादव का कहना है कि डफरिन अस्पताल में गलत विगो लगाने से सेप्टिक होने की बात गंभीर मामला है। नवजात का पैर काटा गया है तो इस संबंध में अस्पताल की एसआईसी, सीएमएस, स्टाफ नर्स और इलाज करने वाले डॉक्टर से पूछताछ की जाएगी। इस संबंध में डफरिन अस्पताल व केजीएमयू से इलाज व जांच रिपोर्ट भी मंगाई जाएगी।

12 अक्तूबर को डफरिन के एनआईसीयू में भर्ती
17 केजीएमयू के लिए रेफर, यहां एनआईसीयू में भर्ती
16 नवंबर तक यहां इलाज चला
17 नवंबर को सेप्टिक होने पर काटा गया पैर

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