नेशनल डेस्क : केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने राष्ट्रीय राजधानी के लिए आबकारी नीति 2021-22 से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में कारोबारियों विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। जमानत आदेश को चुनौती देने संबंधी सीबीआई की याचिका बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति योगेश खन्ना के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई है।
निचली अदालत ने कहा था कि नायर और बोइनपल्ली के खिलाफ कथित अपराध के लिए सात साल की जेल की अधिकतम सजा है लेकिन यह अपराध इतना भी गंभीर नहीं है कि उन्हें जमानत देने से इनकार किया जाए। आम आदमी पार्टी (आप) के संचार प्रभारी नायर और बोइनपल्ली हालांकि, हिरासत में रहेंगे क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन के एक मामले में उन्हें गिरफ्तार किया है। अदालत ने 14 नवंबर के अपने आदेश में कहा था कि भ्रष्टाचार का मामला सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है, जो यह नहीं कहता कि नायर तथा बोइनपल्ली ने कोई अपराध नहीं किया बल्कि वे एक आपराधिक षडयंत्र का कथित तौर पर हिस्सा थे।
गौरतलब है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि नायर हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली के विभिन्न होटलों में “हवाला ऑपरेटर के माध्यम से अवैध धन” की व्यवस्था करने के लिए अन्य सह-आरोपियों और शराब निर्माताओं तथा वितरकों के साथ बैठकें करने में शामिल था। सीबीआई ने दावा किया है कि बोइनपल्ली भी बैठकों का हिस्सा था। केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया है कि बोइनपल्ली एक अन्य आरोपी शराब व्यवसायी समीर महेंद्रू के साथ धनशोधन की साजिश में शामिल था, जो गिरफ्तारी के बाद तिहाड़ जेल में बंद है।
धनशोधन मामले में ईडी ने दिल्ली के जोर बाग स्थित शराब वितरक ‘इंडोस्पिरिट ग्रुप’ के प्रबंध निदेशक महेंद्रू की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली और पंजाब में लगभग 36 ठिकानों पर छापेमारी की थी। मामले के अन्य आरोपियों में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण, उपायुक्त आनंद तिवारी और सहायक आयुक्त पंकज भटनागर शामिल हैं। दोनों एजेंसियों के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितता की गई और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच इस साल सितंबर के अंत में इसे वापस ले लिया था।