व्यापार

शी जिनपिंग ने बिगाड़ा चीन का खेल, अब भारत बन रहा दुनिया की नई उम्मीद

नई दिल्ली: चीन में फिर से कोविड अपने पांव पसार रहा है. रोज 40 हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं. जिसकी वजह से चीनी सरकार ने कड़े प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं. सख्त कोविड पॉलिसी (Policy) की वजह से चीनी लोग परेशानी का सामना रहे हैं. अब तो शंघाई में लोग सड़कों पर हैं और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ नारे लग रहे हैं और इस्तीफे की डिमांड हो रही है.

इसी सख्त पॉलिसी की वजह से दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक एप्पल (Apple Inc) अब धीरे-धीरे अपने कारोबार को समेट रहा है. सबसे बड़ी एप्पल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट को बार-बार बंद करना पड़ रहा है. विदेशी निवेशकों का रुख चीन से कम होता जा रहा है. कोविड को लेकर चीन के अडिय़ल रुख का फायदा भारत को होता हुआ दिखाई दे रहा है.

एप्पल अब अपने कारोबार को समेटकर भारत ला रही है. जिसकी शुरुआत कुछ साल पहले हो गई थी. विदेशी निवेशकों का रुख भारत की ओर बढ़ा है. नवंबर के महीने में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश भी किया है. भारत के रियल एस्टेट मार्केट में भी बूम आया है. चीन में लॉकडाउन या स्लोडाउन का फायदा भारत को क्रूड ऑयल में भी देखने को मिलेगा. चीन की ओर से डिमांड कम होने पर इंटरनेशनल मार्केट में इसका असर पड़ेगा और रुपये पर दबाव कम देखने को मिलेगा.

रूस-यूक्रेन वॉर और ताइवान के प्रति चीन कड़े तेवर के अलावा कोविड पॉलिसी के कारण लगने वाले लॉकडाउन की वजह से अमेरिका और यूरोपीय देशों ने चीन से छिटकना शुरू कर दिया है. पश्चिमी देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करने और अपने सोर्सिंग बेस को एक्सपैंड करने का विचार कर रहे हैं. जिसका फायदा भारत को होता हुआ दिखाई दे रहा है. भारत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को और ज्यादा मजबूत कर सकता है. साथ ही आने वाले दिनों में चीन की तुलना में भारत में अमेरिका और दूसरी यू​रोपीय देशों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स खुलती हुई दिखाई दे सकती हैं.

वहीं दूसरी ओर एप्पल ने भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने का फैसला कर लिया है. चेन्नई स्थित फॉक्सकॉन कंपनी एप्पल के प्रोडक्शन को बढ़ाने का काम कर रही है. आने वाले दिनों में भारत में प्रोडक्शन में और इजाफा इसलिए भी देखने को मिल सकता है क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी एप्पल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चीन में लॉकडाउन की भेंट चढ़ी हुई है. जिसका असर एप्पल की सप्लाई पर साफ देखने को मिल रहा है.

चीन दुनिया का सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल आयातक है. चीन में लॉकडाउन और क्राइसिस की वजह से डिमांड कम होगी और जिसका असर इंटरनेशनल मार्केट में देखने को मिलेगा और क्रूड ऑयल की कीमत कम होने का फायदा भारत को मिलेगा और रुपये को मजबूती मिलेगी और भारत की इकोनॉमी को फायदा मिलेगा. भारत का आयात बिल कम होगा और विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा देखने को मिलेगा. चीन में लॉकडाउन के कारण ही ब्रेंट क्रूड के दाम करीब 3 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है. मार्च के हाई से ब्रेंट क्रूड करीब 40 फीसदी टूट चुका है.

चीन के रियल एस्टेट बबल के फटने के बाद भारत को इसका बड़ा फायदा मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. चीन के रियल एस्टेट सेक्टर के डूबने के चीन की जीडीपी अनुमान 5.5 फीसदी फिसलता हुआ दिखाई देने लगा है. वहीं चीन की नेगेटिव पॉपुलेशन ग्रोथ रेट के कारण भी रियल एस्टेट सेक्टर को नुकसान पहुंचा है. कई रियल एस्टेट कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं. जिसका फायदा भारत को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. चीन में मंदी के कारण भारत में पहले 6 महीनों में घरों की बिक्री साल 2013 की पहली ​छमाही के बाद सबसे ज्यादा देखने को मिली. भारत में कैलेंडवर वर्ष 2021 की दूसरी छमाही तुलना में यह डिमांड 19 फीसदी ज्यादा थी.

पूरी दुनिया ने कोविड के दौरान सेमिकंडक्टर की कमी देखी, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान दुनिया की ऑटो कंपनियों को सबसे ज्यादा हुआ. चीन दुनिया में सेमी कंडक्टर का सबसे बड़ा हब है, जहां पर अब भी कोविड लॉकडाउन जारी है. ऐसे में भारत दुनिया में सेमीकंडक्टर हब बनने की राहत पर चल पड़ा है. ​बीते सप्ताह मिनिस्टर ऑफ स्टेट आईटी एंड इलेक्ट्रोनिक्स राजीव चंद्रशेखर की ओर से बताया गया कि भारत सेमिकंक्टर और इलेक्ट्रोनिक्स में 30 बिलियन डॉलर का निवेश करेगी. उन्होंने बंगलूरू में हुए टेक समिट में कहा था कि दुनिया अब चीन पर डिपेंड नहीं रहना चाहती है. पिछले तीन वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में 66 फीसदी एफडीआई भारत में आया है.

वहीं दूसरी ओर कभी चीन पर भरोसा दिखाने वाले विदेशी निवेशकों ने अब भारत की ओर रुख कर लिया है. दुनियाभर में बढ़ती महंगाई और सेंट्रल बैंकों की ओर से ब्याज दरों में इजाफे की वजह से एफआईआई ने भी भारत के बाजारों से पैसा निकाला था, लेकिन नवंबर के महीने में एफआईआई ने 31 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया है. जिसके और भी बढऩे की उम्मीद की जा रही है. जानकारों की मानें तो कोविड लॉकडाउन के कारण चीनी बाजारों में लगातार गिरावट की ओर है, जबकि भारतीय बाजारों में लगातार तेजी आई है.

Related Articles

Back to top button