EU का आरोपः यूरोप में गंभीर ऊर्जा संकट, गैस बेचकर खूब मुनाफा कमा रहा अमेरिका
ब्रसेल्स : यूरोपीय संघ (ईयू) ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि अमेरिका सहयोगी होने के बाद भी उसकी मजबूरी का फायदा उठा रहा है। ईयू के एक अधिकारी ने कहा कि इस बात पर गंभीरता से सोचना होगा कि क्या वाकई अमेरिका यूरोपीय संघ का सहयोगी है। क्योंकि, पिछले नौ महीनों में ईयू से यूक्रेन के लिए हथियार और पैसे मांगने के अलावा अमेरिका ने किसी भी दूसरे मसले पर बात नहीं की है। जबकि, यूरोप गंभीर ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। इसके विपरीत अमेरिका हथियार और गैस बेचकर खूब मुनाफा कमा रहा है।
एक वरिष्ठ ईयू अधिकारी ने कहा कि पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध से परेशान है, लेकिन अमेरिका अकेला वह देश है, जिसे युद्ध से सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है। अमेरिका यूरोप को ऊंची कीमतों पर गैस बेच रहा है और अपने हथियार खरीदने के लिए मजबूर कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी लोगों की तुलना में ईयू के लोगों को गैस की चार गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। सस्ते ईंधन और सब्सिडी के लालच में यूरोप की तमाम कंपनियां अपना व्यवसाय अमेरिका स्थानांतरित कर रही हैं। इस मसले को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों खुलेआम कह चुके हैं कि अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रहा है।
शुक्रवार को ईयू के व्यापार मंत्रियों की बैठक हुई। इस बैठक में सर्वसम्मति से अमेरिका के आईआरए एक्ट को विभेदनकारी और दुश्मनीभरा घोषित किया गया, साथ ही अमेरिका से मांग की गई कि इस कानून के तहत 400 अरब डॉलर की सब्सिडी के प्रावधानों को इस तरह से बदला जाए कि जिससे यूरोपीय संघ के देश प्रभावित नहीं हों। हालांकि, अमेरिका पहले भी ईयू की इस आपत्ति को दरकिनार कर चुका है। अमेरिका का कहना है कि यह कानून उसकी घरेलु अर्थव्यवस्था से जुड़ा है, इसका यूरोप से कोई सीध संबंध नहीं। आईआरए के तहत हरित उत्पाद खरीदने पर टैक्स क्रेडिट का बंदोबस्त किया गया है। इसी वजह से तमाम कंपनियां अमेरिका का रुख कर रही हैं।
ईयू के आंतरिक बाजार आयुक्त थियेरी ब्रेटन ने कहा कि एक तरफ तो अमेरिका रूसी तेल और गैस पर कैपिंग करना चाहता है, लेकिन अपनी गैस चार गुना महंगी बेच रहा है। जबकि मुश्किल के इस दौर में अमेरिका को यूरोपीय देशों को रियायती दर पर गैस मुहैया करानी चाहिए। जबकि, आज यूरोप गैस आपूर्ति के लिए पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर हो गया है।
नीदरलैंड्स की व्यापार मंत्री लेस्जे श्राइनेमेकर ने कहा कि आईआरए एक्ट यूरोपीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इसके बारे में अमेरिका को ईयू के साथ बातचीत करनी चाहिए थे, लेकिन अमेरिका ने अपने सहयोगियों को अंधेरे में रखा और अब कह रहा है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, जबकि दर्जनों कंपनियां यूरोप छोड़कर अमेरिका जा चुकी हैं।
क्रोएशिया से यूरोपीय संसद क सदस्य टोनिनो पिक्युला ने कहा कि अमेरिकी आईआरए साफ तौर पर यूरोपीय देशों के लिए भेदभाव भरा और मुसीबतें खड़ी करने वाला है। अमेरिका यूरोपीय संघ और इसके लोगों की कीमत पर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत और अपने लोगों को सुविधा दे रहा है, जो पूरी तरह से गलत है।
ईयू के मुख्य वार्ताकार जोसेप बोरेल ने तंज कसते हुए कहा कि अमेरिका हमारा दोस्त है और हमेशा ऐसे फैसले करता है, जिनका हमारे ऊपर गहरा आर्थिक असर पड़ता है। इसके साथ ही बोरेल ने कहा, रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिकी रवैये को लेकर ईयू के लोगों का रुख बदल रहा है। लोग साफ तौर पर देख रहे हैं कि युद्ध से आखिर किसे फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि वक्त की नजाकत के लिहाज से यह कहने का सही मौका नहीं है कि हमारा सबसे अच्छा दोस्त ही हमारे मुश्किल दौर से सबसे ज्यादा फायदा उठा रहा है।