नई दिल्ली: दही दूध से अधिक गुणकारी होता है। दही जमने की प्रक्रिया में दूध में उपस्थित लेक्टोज अम्ल में बदल जाता है, इसलिए दही जल्दी पचने वाला बन जाता है। यह विटामिन ए तथा बी का एक अच्छा स्रोत है। दूध की ही तरह इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज, लवण, कैल्शियम और फास्फोरस पर्याप्त मात्र में होते हैं।
भारत के प्राचीन ग्रंथों में दही का नियमित सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताया गया है। यह शरीर में लाभदायी जीवाणुओं की वृद्धि को उत्तेजित करता है तथा हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है। शरीर में जरूरी विटामिनों का निर्माण भी लाभदायक जीवाणु करते हैं, जो दही में पाये जाते हैं। दही से पेट में अम्ल नियंत्रित रहता है।
गर्मियों में दही की लस्सी बलवर्द्धक एवं तृप्तिदायक पेय माना जाता है। इसमें विभिन रोगों का शमन करने का गुण भी रहता है। भूख कम लगना, भोजन का ठीक से पाचन नहीं होना, पेचिश एवं दस्तों के उपचार के लिए दही का नियमित सेवन भोजन के साथ या बाद में करना चाहिए। नियमित दही का सेवन करने से व्यक्ति दीघार्यु होता है किंतु रात्रि में दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
दही यकृत, मस्तिष्क एवं हृदय को बल प्रदान करता है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल एक चबीर्युक्त पदार्थ होता है जो रक्त वाहिनियों में जमकर रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर देता है, परिणामस्वरूप मस्तिष्क एवं हृदय रोग हो जाते हैं। अत: हृदयरोगी को अपने भोजन में नियमित रूप से दही को शामिल करना चाहिए। दही में काली मिर्च का चूर्ण मिला कर इससे बाल धोने से बाल काले, घने एवं मुलायम रहते हैं। दही में बेसन मिलाकर बालों में लगाने से रूसी दूर होती है। दही की ठंडी मलाई पलकों पर लगाने से आंखों की जलन एवं गर्मी दूर होती है।
चार पिसी काली मिर्च के साथ 100 ग्राम दही का एक माह तक सेवन करने से पुराना सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है। दही में नौसादर मिलाकर लगाने से दाद तथा फोड़े फुंसियां ठीक होते हैं। पिसी अजवायन एवं सेंधा नमक मिलाकर दही सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।