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एक राजा के हाथ से निकली दस हजार करोड़ की जायदाद, पढ़ें क्या है पूरा मामला…
लखनऊ: राजा मेहमूदाबाद की करीब दस हज़ार करोड़ की जायदाद अब उत्तर प्रदेश सरकार की हो गई है। सरकार ने एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट में संशोधन कर दिया है, इसके तहत 1947 और 1965 या 1971 की भारत-पाक जंग के वक्त पाकिस्तान जाने वालों की जायदाद ‘शत्रु संपत्ति’ मानी जाएगी और उनके वारिसों को उसका मालिकाना हक नहीं मिलेगा, भले ही वो भारत के नागरिक क्यों न हों।
आज़ादी के वक्त रियासतों के विलय के बाद शायद यह पहला मौका है, जब किसी ने इतनी बड़ी जायदाद गंवाई है। लखनऊ के सबसे मंहगे इलाक़े में खड़ा राजा महमूदाबाद का सफ़ेद महल अब सरकार का है। राजा आमिर अहमद खान 1957 में पाकिस्तान चले गए थे, लेकिन उनकी बेगम और बेटे राजा आमिर मोहम्मद खान ने भारत में ही रहने का फैसला किया था।
गौरतलब है कि राजा महमूदाबाद की जायदाद लखनऊ के सबसे मंहगे इलाक़ों में हैं। उनमें सैकड़ों की तादाद में शो रूम और होटल खुले हुए हैं, जिनसे हज़ारों करोड़ का कारोबार होता है।
राजा की जायदाद-
- सीतापुर में एक क़िला
- डीएम, एसपी, एसडीएम, सीएमओ और सीओ के बंगले
- एक चीनी मिल, एक कताई मिल
- एक डिग्री कॉलेज, एक पॉलिटेक्निक
- एक तहसील बिल्डिंग
- एक स्टेडियम
- शहर की चार कालोनी
- लखीमपुर खीरी में एसपी का बंगला
- कास्ता कोठी, 40 एकड़ ज़मीन पर वन विभाग की कालोनी
- बाराबंकी में दो कालोनी
- एक डिग्री कॉलेज, एक हवेली
- नैनीताल में एक होटल