धूमधाम से मनाया गया वन अधिकार दिवस
गिरजापुरी। वनाधिकार कानून लागू होने के 16 वर्ष पूरे होने पर 15 दिसंबर 2022 को वन अधिकार दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिन्दुस्तानी ने कहा कि अनुसूचित जनजाति तथा वन में परम्परा से रहने वाले वनवासियों के (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 एक ऐतिहासिक कानून है। इस कानून में वन में रह रहे अनुसूचित जनजाति के सदस्य तथा वन में परम्परा से रहने वाले अन्य व्यक्तियो को, जो वन में सदियों से रह रहे हैं तथा वन भूमि पर कब्जा किये हुए हैं ,परन्तु उनके अधिकार कभी भी अभिलिखित नहीं किये गये उनके वन भूमि के अधिकारों को अभिलिखित करने, और उनको प्रदान करने हेतु, किस साक्ष्य की आवश्यकता होगी और ये अधिकार किस प्रकार मान्य किये जायेंगे, यह निर्धारण करने तथा उनके अधिकारों को मान्यता देने वा अधिकार देने हेतु अधिनियम है। वनों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के सदस्य तथा वन में परम्परा से रहने वाले अन्य व्यक्तियों को वन मे रहने का अधिकार प्रदाय करने से उनकी वन जौविक विभिन्नता वाले पशु तथा पौधे तथा पर्यावरण का संरक्षण तथा सुरक्षा का दायित्व भी आवेगा। जो वन के संरक्षण क्षेत्र की वृध्दि करेगी तथा वन में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के सदस्य तथा वन में परम्परागत रहने वाले अन्य व्यक्तियों की रहने की तथा भोजन की सुरक्षा करेगा।
अंग्रेजों के राज्यकाल में तथा बाद में स्वतन्त्रता के पश्चात भी राज्य के वनों के पुर्नगठन के समय, वन में पीढियों से रह रहे अनुसूचित जनजाति के सदस्य तथा अन्य व्यक्तियों के उनकी पीढियों से कब्जे की वन भूमि के अधिकारों को समुचित मान्यता नहीं दी गई जिससे वनवासियों के साथ ऐतिहासिक अन्याय हुआ। जबकि वे वन की इको सिस्टम को बचाने तथा लगातार बने रहने के एक अंग है और अब वन में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य परम्परागत वन में रहने वाले व्यक्तियों को तथा उनको, जिन्हे राज्य के विकास कार्यो हेतु अपने रहने के स्थान को जबरदस्ती छोडना पडा, उनको उस भूमि पर मालिकाना हक तथा पहुंच के प्रति लम्बे समय से चली आ रही असुरक्षा को समाप्त करने का समय आ गया है ।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उपस्थित लोगों के संयुक्त हस्ताक्षर से डाक के माध्यम से प्रेषित किया गया जिसमे निम्न मांग की गई।
1- जो पांच वन ग्राम राजस्व ग्राम में परिवर्तित हो चुके हैं उनकी ग्राम पंचायतों का गठन किया जाए।
2-जिन लोगों को अधिकार पत्र मिल चुका है, उनकी खतोनी जारी की जाए |
3- जिन का वन अधिकार पत्र बन चुका है लेकिन मिला नहीं है उनका अधिकार पत्र दिलाया जाए।
4- जिन वन निवासियों का दावा. लम्बित अथवा अस्वीकृत है उनके दावों को पुनर्विचार किया जाए। उन्हें साक्षय प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया जाए।
5-ज़ो लोग अभी तक वन अधिकार कानून 2006 के तहत दावेदारी नहीं कर पाए हैं उनका दावा फार्म भरवाया जाए।
6-जिनके दावे पर सुनवाई चल रही है उनके दावों को खारिज करने के बजाय वापस ग्राम स्तरीय समिति के समक्ष भेजा जाए।
7-वन ग्राम महबूबनगर तथा शेष बचे अन्य सभी 34 वन बस्तियों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जाए।
8- वनग्राम से राजस्व ग्राम में परिवर्तित हो चुके गांव में पक्के आवास, पक्के विद्यालय तथा पक्की सड़कें और पक्के शौचालय दिलाया जाए।
9- वन विभाग दूवारा जनता के दूवारा वर्ष 2005 में शुरू किए गए वन अधिकार आंदोलन को दबाने के उद्देश्य से दर्ज किए गए फर्जी मुकदमों को वापस किया जाए।
10-वन अधिकार कानून 2006 के तहत सभी वन निवासियों को सामुदायिक वन अधिकार और सामूहिक वन संसाधन का अधिकार दिया जाए।
बैठक को रामसमुझ मौर्य, फगुनी प्रसाद, सूर्य देव, दीनानाथ, रामनरेश, केशव सिंह,मीरा देवी, सुरेंद्र सिंह आदि ने संबोधित किया।