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पूर्वोत्तर में 8 साल में उग्रवाद की घटनाओं में 74 फीसदी की कमी – अमित शाह

शिलांग । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि पिछले 8 सालों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद की घटनाओं में 74 फीसदी की कमी आई है, सुरक्षा बलों पर हमलों की घटनाओं में 60 फीसदी की कमी आई है और नागरिकों की मृत्यु में 89 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि विभिन्न संगठनों के लगभग 8,000 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है और मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। नॉर्थ ईस्ट काउंसिल (एनईसी) की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पहले पूर्वोत्तर से अफस्पा (सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम) को हटाने की मांग होती थी, लेकिन अब यह मांग नहीं उठती है, बल्कि केंद्र इसे हटाने के लिए कदम उठा रहा है।

उन्होंने कहा कि अब असम का 60 प्रतिशत क्षेत्र, नागालैंड के सात जिले, मणिपुर और त्रिपुरा और मेघालय के छह जिलों के 15 पुलिस थाने पूरी तरह से अफस्पा मुक्त हो गए हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश के केवल एक जिले में अफस्पा को हटाया जाना बाकी है। उन्होंने कहा, “ये बड़ी उपलब्धियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संभव हुई हैं। शांति के बिना विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य की संस्थाओं में प्रगति असंभव है। मोदी के कार्यकाल में 2019 में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा, 2020 में रियांग (ब्रू) और बोडो समझौता और 2021 में कार्बी समझौते पर सहमति बनी।”

उन्होंने दावा किया कि असम-मेघालय और असम-अरुणाचल अंतर्राज्यीय सीमा विवाद भी लगभग समाप्त हो गया है और शांति बहाली से पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास के पथ पर आगे बढ़ा है। शाह ने कहा कि पहले पूर्वोत्तर को आवंटित धन निचले स्तर तक नहीं पहुंचता था, लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गांवों में धन पहुंच रहा है और विकास के लिए उपयोग किया जा रहा है और यह एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा पूर्वोत्तर को प्राथमिकता दी है, मोदी ने पिछले 8 वर्षो में 50 से अधिक बार क्षेत्र का दौरा किया है, जबकि केंद्रीय मंत्रियों ने 400 से अधिक बार क्षेत्र का दौरा किया है। बुनियादी ढांचे में सुधार के कारण पूर्वोत्तर में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ी हैं, साथ ही कई छोटे उद्योग, शैक्षणिक संस्थान और खेल से जुड़े संस्थान भी खुले हैं।

शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों की हर राजधानी को सड़क, ट्रेन और हवाई संपर्क से जोड़ने की परियोजना भी शुरू की है। आठ साल पहले तक पूरा पूर्वोत्तर केवल बंद, हड़ताल, बम विस्फोट और गोलीबारी के लिए जाना जाता था और विभिन्न उग्रवादी समूहों की गतिविधियों के कारण क्षेत्र के लोग शांति से नहीं रह सकते थे।

एनईसी की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी, राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों, कई पूर्वोत्तर राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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