भारतीय नौसेना को मिली गाइडेड वेपन युक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी ‘वागीर’
नई दिल्ली : पी-75 की पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में कमीशन किया जा रहा है। 20 दिसंबर को यह स्कॉर्पीन पनडुब्बी, रियर एडमिरल सी रघुराम की मौजूदगी में भारतीय नौसेना को सुपुर्द की गई। स्कॉर्पीन पनडुब्बी विविध प्रकार के लक्ष्यों जैसे एन्टी-सरफेस, एंटी- सबमेरीन, इंटेलिजेन्स गैदरिंग, माइन लेइंग, एरिया सरविलेन्स इत्यादि में निपुण है। इसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से एडवांस्ड एकाउस्टिक एबसार्वशन टेक्नीक, लो रेडिएटेड न्याएज लेवल्स और प्रीसिशन गाइडेड वेपन है। यह दुश्मन पर गंभीर आक्रमण करने की क्षमता रखती है। पानी में और सतह दोनों स्थानों पर पनडुब्बी से हमला किया जा सकता है।
माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को जारी रखते हुए पी- 75 की पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी की परियोजना पूरी की है। इसे आईएनएस वागीर के रूप में भारतीय नौसेना में कमीशन किया जाएगा। वागीर की लॉन्चिंग 12 नवंबर 2020 को कि गई थी। इसे युद्ध योग्य पनडुब्बी बनाने हेतु एवं इसकी सुपुर्दगी सुनिश्चित करने के लिए इसके एक वर्ष से अधिक समय तक बहुत व्यापक और कठोर परीक्षण और ट्रायल किए गए हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए, एमडीएल के सीएमडी सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल नारायण प्रसाद ने कहा कि वागीर की सुपुर्दगी के साथ, भारत ने एक पनडुब्बी निर्माण राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को और अधिक मजबूत किया है। कलवरी खंडेरी, करंज, बेला और अब वागीर पनडुब्बी की सुपुर्दगी ने पनडुब्बी निर्माण करने वाले देशों के विशेष समूह में भारत की सदस्यता को प्रमाणित किया है।
सीएमडी ने कहा कि स्कॉर्पीन पनडुब्बी में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी ने बेहतर स्टील्थ सुविधाओं को सुनिश्चित किया है, जैसे कि एडवांस्ड एकाउस्टिक एबसार्वशन, लो रेडिएटेड न्याएज लेवल्स हाइड्रो- डाइनमिकली ऑपटीमाइजड शेप इत्यादि। यह गाइडेड वेपन का उपयोग करते हुए दुश्मन पर गंभीर आक्रमण करने की क्षमता रखता है। पानी में इसकी यह विशेषता, स्टील्थ को एक शक्तिशाली मंच प्रदान करता है। ये स्टील्थ विशेषताएं इसको अभेद्य और बेजोड़ बनाती हैं।
सीएमडी ने कहा कि एमडीएल हमेशा राष्ट्र के दूरदर्शी, प्रतिरोधी और प्रगामी स्वदेशी युद्धपोत निर्माण कार्यक्रम में आगे रहा है। वास्तव में, विभिन्न प्रकार के लड़ाकू मंचों के साथ जैसे लीएडर और गोदावरी श्रेणी युद्धपोत, खुकरी श्रेणी कारवेट्स, तटरक्षक ओपीवीएस बोट्स, दिल्ली, कोलकाता एवं विशाखापट्टनम श्रेणी विध्वंसक, शिवालिक श्रेणी स्टील्थ विध्वंसक, एसएसके पनदुब्बियां और स्कोर्पिन पनडुब्बी इस क्षेत्र में हैं। एमडीएल का वर्तमान इतिहास भारत में स्वदेशी युद्धपोत एवं पनडुब्बी निर्माण का पर्याय है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक मुख्य पहल के रूप में, एमडीएल ने एक मिजेट पनडुब्बी का रूपांकन और निर्माण का आरंभ किया है। जो भविष्य में होने वाले स्वदेशीकृत पनडुब्बी कार्यक्रम के लिए संकल्पना का प्रमाण साबित होगा।
उन्होंने कहा कि ठीक समय पर भविष्य की चुनौतियों के बारे में संवेदनशील और जागरूक होकर, एमडीएल ने अपनी बुनियादी ढांचा और सुविधाओं के लिए एक व्यापक आधुनिकीकरण कार्यक्रम पूरा किया है, जो हमें 10 उत्तम युद्धपोत और 11 पण्डुब्बियों का निर्माण करने में एक साथ सक्षम बनाते हैं। यह बुनियादी संरचना वास्तव में राष्ट्रीय संपत्ति है।