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बीच समंदर में फंसा शख्स 24 दिन बाद लौटा वापस, खाने को था सिर्फ केचअप, ये है पूरा मामला

नई दिल्‍ली (New Delhi) । ‘जाको राखे साइयां मार सके ना कोई’….हाल ही में समुद्र (sea) में भटका हुआ एक शख्स (person) जिस तरह से वापस लौटा है, आपको भी उसकी कहानी सुनकर यही दोहा याद आ जाएगा. जी, हां डोमनिका आईलैंड (Dominica Island) के 47 वर्षीय एल्विस फ्रेंकोइस (elvis francois) अपनी नाव के साथ 24 दिनों तक समुद्र के बीच भटकता रहा. इस दौरान वह गार्लिक पाउडर और केचअप के सहारे जिंदा रहा. आखिरकार कोलंबियाई नेवी (Colombian Navy) ने 24 दिनों के लंबे इंतजार के बाद उसे रेस्क्यू कर लिया.

कोलंबियाई नेवी के रेस्क्यू के बाद एल्विस ने अपना दर्द बयां किया. एल्विस ने बताया कि वह दिसंबर में आईलैंड पर अपनी नाव को ठीक कर रहे थे. अचानक मौसम बदला और वह नाव के साथ समुद्र में बह गए. पानी का तेज बहाव नाव को और दूर तक ले गया. जिसके बाद रास्ते का ठीक पता नहीं होने की वजह नाव समुद्र में ही भटक गई.

भटकने के बाद एल्विस के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी खुद को जिंदा रखना. जिंदा रहने के लिए उसे साफ पानी और खाने की जरूरत थी. लेकिन एल्विस के पास नाव पर साफ पानी और खाने जैसा कुछ नहीं था. नाव पर सिर्फ एक केचअप की बोतल, थोड़ा गार्लिक पाउडर जरूर था. परेशानी यह थी कि केचअप और गार्लिक के जरिए अपना पेट कैसे भरा जाए. एल्विस के पास जब कोई विकल्प नहीं बचा तो उन्होंने केचअप को ही अपनी भूख मिटाने का जरिया बनाया. एल्विस ने केचअप में गार्लिक पाउडर डाला और इन्हें पानी में मिलाकर खाया. जिस पानी में कैचअप मिलाई थी, वह पानी बारिश का था, जो एक कपड़े की मदद से इकट्ठा किया गया था.

अब एल्विस को बस उम्मीद थी कि कोई उसकी मदद के लिए आ जाए. हालांकि, बीच समुद्र मदद के लिए सोचना वाकई आटे में मिले नमक को ढूंढने जैसा था. लेकिन एल्विस ने उम्मीद नहीं छोड़ी और अपनी नाव पर ‘हेल्प’ शब्द किसी तरह लिख दिया.आखिरकार एल्विस की कोशिशें काम आईं. एल्विस की नाव के ऊपर से गुजरे एक विमान के पायलट की नजर एल्विस पर पड़ गई. एल्विस ने भी शीशे के सहारे पायलट को लगातार संकेत दिए.

एल्विस ने बताया कि सिग्नल मिलने के बाद विमान दो बार नाव के पास से गुजरा. जिसके बाद प्लेन में सवार पायलट ने नेवी को इस बात की जानकारी दी. नेवी ने सूचना मिलते ही एक मर्चेंट शिप के जरिए एल्विस का रेस्क्यू करा लिया. नेवी ने एल्विस को रेस्क्यू करने के बाद तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल में मेडिकल केयर मिलने के बाद एल्विस को उनके घर रवाना कर दिया गया.

एल्विस ने जैसा समय देखा, उसको सोचकर भी उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. एल्विस ने बताया कि नाव पर करीब 24 दिन ना उन्होंने जमीन देखी और ना ही कोई उनसे बात करने वाला था. यह भी नहीं पता था कि वे क्या करें और वे कहां हैं. एल्विस कहते हैं कि यह काफी मुश्किल समय था. एक समय ऐसा आ गया था कि जब उनकी सभी आशाएं खत्म हो गई थीं और वे अपने परिवार के बारे में सोचने लगे थे.

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