जोशीमठ : जोशीमठ भूधंसाव में पिछले कुछ दिनों से रहता एवं बचाव कार्य जारी है। भूधंसाव की घटनाओं में भी घटोत्तरी हो रही है। संकट के बीच प्रशासन और लोगों में रार ठन गयी है। अभी तक प्रभावितों के स्थाई विस्थापन के लिए भूमि चयन पर एक सहमति शासन और प्रभावितों में नहीं बन पायी है। यही स्थिति प्रभावितों को उनके दरके हुए घरों और भूमि के मुआवजे को लेकर भी बनी हुई है। जोशीमठ भूधंसाव प्रभावितों के स्थाई विस्थापन के लिए प्रशासन, शासन ने चार स्थानों को चिह्नित किया था। इनमें पीपलकोटी और ढाक को प्राथमिकता में बताया गया है। पीपलकोटी पर स्थानीय लोगों की सहमति नहीं बनने की जानकारी सामने आ रही है। प्रशासन ने जोशीमठ आपदा प्रभावित लोगों के विस्थापन को लेकर ग्राम पंचायत ढाक में भूमि चिन्हित की। प्रशासन की रिपोर्ट में यहां पर प्रभावित परिवारों का पुनर्वास कराया जा सकता है। आरडब्ल्यूडी द्वारा ढाक में चिन्हित भूमि का कंपयूटर मैप तैयार किया गया सेन्ट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीटयूट द्वारा भूमि का सर्वेक्षण कर पुनर्वास के लिए विस्तृत प्लान तैयार किया जा रहा है। जिसमें प्रभावित परिवारों के कालोनी निर्माण से लेकर ड्रेनेज, सीवरेज सिस्टम, सडक, बिजली, पानी आदि व्यवस्था शामिल है।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया प्रभावितों से भी राय और सुझाव लिए जा रहे है। वे जिस जगह पर रहना चाहते हैं। उस स्थान का नाम निर्धारित कर प्रशासन को बतायें। ताकि स्थाई विस्थापन की कार्रवाई शुरू हो सके। शासन प्रशासन ने जोशीमठ भूंधसाव प्रभावितों के लिए भूमि, मुआवजा पर राय बनाने के लिये जन प्रतिनिधियों की एक समिति भी बनाई है। इसके सदस्य बदरीनाथ के विधायक राजेन्द्र सिंह भंडारी ने बताया, हमने अपनी राय दी है कि जोशीमठ भूधसांव प्रभावितों को बदरीनाथ मास्टर प्लान में प्रभावित हुए लोगों की तर्ज पर ही मुआवजा दिया जाए। वन टाइम सेटलमेंट कर प्रभावितों की इच्छा पर विस्थापन हो।
वहीं लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन स्थायी विस्थापन और मुआवजे में देर कर रहे हैं। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने आरोप लगाया कि सरकार मुआवजे से लेकर हर स्थाई मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय लेना नहीं चाहती है। प्रभावित लोगों की समस्याओं को टरका कर बांटना चाहती है। जल्द से जल्द लोगों की राय लेकर स्थायी विस्थापन और मुआवजे पर निर्णय लेना चाहिए।