सलविंदर सिंह पर शक गहराया, एसपी की कार से मिला चीनी वायरलेस सेट
चंडीगढ़. हरियाणा पठानकोट एयरबेस हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को अहम सुराग हाथ लगे हैं. एनआईए ने एसपी सलविंदर सिंह की गाड़ी से चीनी वायरलेस सेट बरामद किया है.
इससे एनआईए का सलविंदर सिंह पर शक और गहरा गया है. वायरलेस सेट को जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरट्री भेज दिया गया है. माना जा रहा है कि वायरलेस सेट मिलने के बाद पठानकोट हमले की जांच को नई दिशा मिलेगी.
सलविंदर सिंह के बयानों में विरोधाभास
एनआईए ने इस मामले में और अधिक जानकारी देने से साफ मना कर दिया है. एजेंसी ने यह भी नहीं बताया कि यह वायरलेस सेट किस जगह और कौन सी तारीख को मिला. अधिकारियों का कहना है कि यह जांच का विषय है और इसे खुलासा नहीं किया जा सकता है.
इधर, एनआईए के अधिकारियों ने बुधवार को पंजाब पुलिस के अधिकारी सलविंदर सिंह से लगातार तीसरे दिन पूछताछ की. सलविंदर सिंह लगातार अपने बयान बदल रहे हैं. ऐसे में एनआईए ने मामले से जुड़े विभिन्न तथ्यों का पता लगाने के लिए फिर पूछताछ की.
NIA दफ्तर पहुंचे सोमी बाबा और मदन गोपाल
एनआईए के सवालों का जवाब देने के लिए गांव तल्लूर के मुख्य सेवादर सोमी बाबा और सलविंदर सिंह के कुक मदन गोपाल गुरुवार को दिल्ली स्थित एनआईए के दफ्तर पहुंचे. पठानकोट हमले से पहले एसपी सलविंदर सिंह और उनके दोस्त राजेश वर्मा सोमी बाबा के दरगाह पर गए थे.
दरअसल, सलविंदर सिंह ने दावा किया था कि पंज पीर दरगाह से लौटते वक्त उन्हें आतंकियों ने अगवा कर लिया था और उनकी कार छीन ली थी. बाद में आतंकी अगवा कार से एयरबेस तक पहुंचे थे.
सोमी बाबा के बयान से शक गहराया
सोमी बाबा के इस बयान ने कई सवाल खड़े किए हैं कि सलविंदर सिंह हमले से पहले पहली बार दरगाह पर आए थे. उनके दोस्त राजेश वर्मा और उनका कुक मदन गोपाल एक ही दिन में दो बार दरगाह पर आए थे.
एनआईए ने सलविंदर का मोबाइल फोन केन्द्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के पास भेजा है ताकि इसके मालिक और सुरक्षा बलों से 80 घंटे तक मुठभेड़ करने वाले आतंकवादियों की ओर से संभावित रूप से किए गए फोन कॉल के बारे में जानकारी मिल सके.
रात को पंज पीर क्यों गए थे सलविंदर?
एनआईए जानना चाहती है कि आखिर एसपी सलविंदर सिंह इतनी रात को पंज पीर क्यों गए थे? इसके अलावा सवाल ये भी उठ रहा है कि पहले एक ड्राइवर को मार चुके आतंकियों ने सलविंदर सिंह को क्यों छोड़ दिया?