राष्ट्रीय
80 साल में करोड़ों पतंग बनाने वाले ‘युसुफ चचा’ ने आज तक नहीं उड़ाई पतंग
सूरत। गुजरात की हीरानगरी सूरत में रहने वाला एक परिवार तीन पीढ़ियों से पतंग व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। वहीं, परिवार के मुखिया युसुफभाई तो अब 80 साल के हो चुके हैं, लेकिन पतंगें बनाने के उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। इसमें भी आश्चर्य की बात तो यह है कि युसुफभाई बचपन से पतंगें बनाते आ रहे हैं, लेकिन आज तक उन्होंने एक भी पतंग नहीं उड़ाई।
विरासत में मिला है पतंग बनाने का काम:
युसुफभाई का परिवार आज पूरे गुजरात में प्रसिद्ध है। सूरतवासी तो उन्हें ‘युसुफ चचा’ कहकर बुलाते हैं। उत्तरायण पर्व के लिए तो युसुफभाई एक से बढ़कर एक डिजाइन की पतंगें बनाते हैं, जिसकी खास डिमांड होती है। भले ही पतंगों की ज्यादा डिमांड उत्तरायण पर ही होती है, लेकिन परिवार पूरे साल भर पतंग बनाता है और यही काम परिवार की आय का जरिया है।
युसुफभाई का परिवार आज पूरे गुजरात में प्रसिद्ध है। सूरतवासी तो उन्हें ‘युसुफ चचा’ कहकर बुलाते हैं। उत्तरायण पर्व के लिए तो युसुफभाई एक से बढ़कर एक डिजाइन की पतंगें बनाते हैं, जिसकी खास डिमांड होती है। भले ही पतंगों की ज्यादा डिमांड उत्तरायण पर ही होती है, लेकिन परिवार पूरे साल भर पतंग बनाता है और यही काम परिवार की आय का जरिया है।
पिता और दादा भी बनाते थे पतंग:
हालांकि युसुफभाई अब 80 साल के हो चुके हैं, लेकिन उनके द्वारा बनाई गई पतंगों में कोई खामी नहीं निकाल सकता। इस बारे में युसुफभाई बताते हैं उन्होंने छोटी सी उम्र में ही यह काम करना शुरू कर दिया था। इनके पिता और दादा भी पतंग व्यवसाय से जुड़े हुए थे।
हालांकि युसुफभाई अब 80 साल के हो चुके हैं, लेकिन उनके द्वारा बनाई गई पतंगों में कोई खामी नहीं निकाल सकता। इस बारे में युसुफभाई बताते हैं उन्होंने छोटी सी उम्र में ही यह काम करना शुरू कर दिया था। इनके पिता और दादा भी पतंग व्यवसाय से जुड़े हुए थे।
इस बारे में युसुफभाई कहते हैं कि पहले पतंगों के निर्माण में कम खर्च होता था, लेकिन अब महंगाई का असर इस पर भी पड़ा है। अब तो छोटी पतंगों की कीमत भी 30 से 50 रुपए तक हो चुकी है। गुजरात में खंभात में बनने वाली पतंगों की खास डिमांड है, लेकिन सूरत, वडोदरा और अहमदाबाद में अब भी युसुफभाई की पतंगों की मांग रहती है। उत्तरायण पर तो महीनों पहले से ही उन्हें लाखों पतंगों के ऑर्डर मिल जाते हैं। इस दौरान पूरा परिवार रात-दिन पतंगें बनाने में लगा रहता है।
पतंगों के प्रति युसुफभाई का कितना लगाव है, यह बात आप सूरत में किसी से भी पूछ सकते हैं। युसुफभाई के एक हाथ में पिछले कई सालों से तकलीफ है, लेकिन फिर भी पतंग बनाने के उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। युसुफभाई पत्नी साराबीबी की मदद से अब भी रोजाना 500 पतंगें बना लेते हैं।
सूरत के रांदेर इलाके में मुस्लिम समुदाय के शाह समाज के लोग बहुसंख्यक हैं और इनमें से अधिकतर लोग पतंग व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। सूरत में शाह समाज के लोगों की पतंगों की लगभग 200 दुकानें हैं। इसमें भी युसुफभाई का नाम लोगों की जुबान पर है। इतना ही नहीं, पतंग के शौकीन तो पतंगे देखकर ही बता देते हैं कि यह पतंग युसुफभाई द्वारा ही बनाई हुई है।