नई दिल्ली। दिल्ली के मेयर का चुनाव समयबद्ध कराने की मांग को लेकर आम आदमी पार्टी के मेयर उम्मीदवार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सवाल खड़ा करते हुए भाजपा ने आरोप लगाया है कि यह मेयर का चुनाव टालने की आम आदमी पार्टी की साजिश है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल को अपने ही पार्षदों पर और अपने बहुमत पर भरोसा नहीं है।
दिल्ली भाजपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी द्वारा महापौर के मुद्दे पर कोर्ट जाने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी हमेशा से ही जनता को गुमराह करते रहे हैं और उन्हें संविधान पर भरोसा नहीं है। जब भी उन्हें अपनी गलतियों से दिल्ली की जनता का ध्यान भटकाना होता है तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटा देते हैं और फैसले आने के बाद भी यदि फैसला अनुकूल ना हो तो उस फैसले को मानने से इनकार भी कर देते हैं।
सचदेवा ने कहा है कि सदन से भागने वाली आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को इस बात का जवाब देना चाहिए कि आखिर जब बहुमत उनके पास है तो फिर मेयर बनाने में उन्हें क्या तकलीफ हो रही है। उन्होंने कहा कि आज आम आदमी पार्टी कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है, लेकिन साथ ही उनको यह भी बताना होगा कि आखिर सदन में गुंडागर्दी किस ने मचाई, सदन में माइक उठाकर किसने फेंके और पीठासीन अधिकारी की कुर्सी पर चढ़कर गुंडागर्दी कौन कर रहा था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह आम आदमी पार्टी का अपनी हार और सदन में किये गए कृत्य को छुपाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना एकमात्र प्रयास है, क्योंकि सदन में फोटोग्राफ और वीडियो हैं जो यह साबित करते हैं कि आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने जानबूझकर महापौर चुनाव में बाधा डाली और सदन के अंदर संविधान को शर्मसार करते हुए गुंडागर्दी की।
वहीं दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आम आदमी पार्टी पहले सदन में हंगामा कर मेयर पद के चुनाव से भाग रही थी और अब कोर्ट का रुख कर रही है, जहां फैसला आने में कितना समय लग सकता है कोई नहीं जानता। सामान्य तौर पर पीठासीन अधिकारी किसी भी दिन सदन की बैठक बुला सकती थीं लेकिन अब कोर्ट में आने के बाद फैसला आने में एक दो महीने लग सकते हैं। कोर्ट का यह रुख मेयर के चुनाव में देरी करने की चाल है क्योंकि आप अपने बहुमत को लेकर आश्वस्त नहीं है।
दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता ने कहा है कि आप नेताओं के हंगामे की वजह से सदन की पिछली दो बैठकों में मेयर का चुनाव नहीं हो सका। इसके अलावा यह स्पष्ट है कि सीएम अरविंद केजरीवाल नहीं चाहते कि दिल्ली को मेयर मिले, क्योंकि उन्हें डर है कि एक एकीकृत एकल मेयर उनसे अधिक लोकप्रिय हो सकता है और पार्टी पर उनके राजनीतिक नियंत्रण के लिए संभावित बन सकता है।