ये हैं भारत के पांच सबसे चर्चित बजट जिसके जरिए अर्थव्यवस्था को मिली रफ्तार
नई दिल्ली: देश का आम बजट एक फरवरी को आने वाला है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार पांचवीं बार आम बजट पेश करेंगी. इस बार का बजट आम लोगों के साथ-साथ देश के बाकी नागरिकों के लिए कितना खास होने वाला है यह तो समय ही बताएगा लेकिन, उससे पहले आज आप देश के पांच सबसे अच्छे बजट को जान लें.
आम बजट को देश का रोडमैप भी कह सकते हैं जो कि यह तय करता है कि भविष्य को लेकर सरकार की क्या योजना है और उसका फोकस किस क्षेत्र पर रहने वाला है. बजट के जरिए सरकार यह बताती है कि वो आम जनता के लिए क्या योजना लेकर आ रही है. देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए वो क्या करने वाली है. पढ़िए देश के पांच चर्चित बजट.
1991 का बजट: 1991 में पेश किया गया बजट आजादी का सबसे चर्चित बजट रहा है. इस बजट में भारत में आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू की. बजट में आयात और निर्यात नीति में बदलाव पेश किए गए. आयात लाइसेंसिंग को कम किया और निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. बजट ने भारतीय उद्योग में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए भारतीय कंपनियों की नींव रखी. जिस समय यह बजट पेश किया गया था उस समय पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे.
1997 का बजट: 1997 में पेश किए गए बजट को कुछ लोगों ने ड्रीम बजट भी करार दिया था. इस बजट को तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम में पेश किया था और यह उनका पहला बजट भी था. इस बजट के जरिए देश में प्रमुख टैक्स सुधारों की शुरुआत हुई. 40 फीसदी के अधिकतम टैक्स रेट को घटाकर 30 फीसदी किया गया. घरेलू और विदेशी कंपनियों के लिए भी टैक्स में कटौती की गई. घरेलू कंपनियों के लिए टैक्स की सीमा 40 फीसदी से घटाकर 35 फीसदी किया गया और विदेशी कंपनियों के लिए 55 फीसदी से घटाकर 48 फीसदी किया गया.
1970 का बजट: इस बजट की भी खूब चर्चा होती है. इस बजट को उस समय प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने पेश किया था. ऐसा इसलिए क्योंकि वित्त मंत्रालय को उन्होंने अपने पास ही रखा था। इस बजट में इनडायरेक्ट टैक्स को लेकर बड़ा फैसला लिया. यहां तक कि सिगरेट पर ड्यूटी 3 फीसदी से बढ़ाकर सीधे 22 फीसदी कर दिया था.
1968 का बजट: जब कभी भी बजट की चर्चा होती है तो 1968 के बजट का जिक्र जरूर आता है. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और मोरारजी देशाई डिप्टी पीएम थे और वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी उन्हें के पास था. मतलब वित्त मंत्री भी वहीं थे. इस बजट को ‘आम लोगों का बजट’ करार दिया गया था. ऐसा इसलिए क्योंकि देश सूखे की चपेट में था जिसकी वजह से जनता भी परेशान थी. मंहगाई की वजह से लोग परेशान थे. बजट के जरिए मोरारजी देशाई ने आम जनता को कई राहत दीं.
1957 का बजट: इस बजट की आज भी चर्चा की जाती है. तब के वित्त मंत्री रहे टीटी कृष्णमचारी ने कई तरह के टैक्स का प्रावधान किया. इसमें सबसे खास रहा संपत्ति कर, जो कि 2016 तक लागू रहा. चोरी की संभावना से बचने के लिए संपत्ति के लिए टैक्स पेश किया गया था. इसके साथ-साथ बजट ने देश के भुगतान संतुलन की स्थिति में सुधार करने के लिए कई तरह के प्रावधान किए थे.