नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में ‘दीदी के दूत‘ आम लोगों के निशाने पर हैं. कुछ दिन पहले टीएमसी के हैवीवेट नेता अनुब्रत मंडल के बीरभूम जिले के तृणमूल विधायक को ‘दीदीर सुरक्षा कवच’ कार्यक्रम में जाने के दौरान ग्रामीणों ने रोक दिया था. गांव में घुसने के रास्ते में बांस और पेड़ लगाकर रास्ता रोक दिया गया. शुक्रवार को ‘दीदी के दूत’ सिउरी विधायक को फिर से विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा.
आसपास के ग्रामीणों की शिकायत और विधायक के समर्थकों के लगातार नारेबाजी से इलाके में हलचल मच गयी. विधायक पर आम लोगों के कामों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. शुक्रवार को सिउरी विधायक बिकास रॉय चौधरी सिउरी के अलौंदा पंचायत के जुनिदपुर गांव गये थे. ग्रामीणों ने विधायक से शिकायत की कि तृणमूल पंचायत प्रमुख ने आवास योजना के लिए मकान बनवाने के लिए कई लोगों से कटमनी ली है.
शिकायत करने वालों में से अधिकांश ने खुद को तृमणूल कांग्रेस के कार्यकर्ता बता रहे थे. कुछ ने क्षेत्र में जल निकासी व्यवस्था की खराब स्थिति के बारे में भी शिकायत की. इसके बाद विधायक के समर्थकों और टीएमसी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी. स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि नारेबाजी के कारण कई लोग विधायक से शिकायत नहीं कर सके. इससे पहले विधायक चले गये.
हालांकि स्थानीय सूत्रों के मुताबिक विधायक बाद में एक स्थानीय क्लब में बैठे और ग्रामीणों की शिकायतें सुनीं. इस घटना को लेकर विधायक ने कहा, ”यहां गुस्सा नहीं है. यह एक टीएमसी का परिवार है. वे टीएमसी के साथ हैं और टीएमसी में रहेंगे, लेकिन अगर कोई गलती करता है तो कार्रवाई की जाएगी.”
प्राप्त जानकारी के अनुसार विधायक को देखते ही ग्रामीणों के एक वर्ग ने मुखिया के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने फिर से तृणमूल कार्यकर्ताओं का समर्थक होने का दावा किया है. उन्होंने क्षेत्र में जल निकासी व्यवस्था की दुर्दशा पर सवाल उठाया. पहले मुख्य प्रदर्शनकारी विपक्षी दल के सदस्य होने का दावा करने लगे.
प्रधान ने कहा, ये सभी झूठे आरोप हैं. मैं नहीं बता सकता कि कौन क्या कर रहा है. अब जॉब कार्ड उपलब्ध नहीं है. जॉब कार्ड जारी करने का अधिकार अब किसी के पास नहीं है. दुष्प्रचार नहीं करें. उन्होंने विरोध करने वालों को विपक्षी दल का सदस्य बताया, लेकिन प्रदर्शनकारियों के बीच से नारे लगने लगे कि मुखिया अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए झूठ बोल रहा है.