अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए देरी से चल रहीं परियोजनाओं को मिल सकती है ज्यादा पूंजी
नई दिल्ली : खपत एवं रोजगार के जरिये अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकार 2023-24 के बजट में बुनियादी ढांचा क्षेत्र को और मजबूत करने पर जोर दे सकती है। इसके लिए पीएम गति शक्ति मिशन के तहत आने वाली उन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को अधिक वित्तीय समर्थन मिला सकता है, जो देरी से चल रही हैं। इन परियोजनाओं की पहचान हो चुकी है। लेकिन, इन्हें न तो मंजूरी मिली है और न ही फंड आवंटित किया गया है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने विभिन्न मंत्रालयों से ऐसी परियोजनाओं के लिए मंजूरी प्राप्त करने को कहा है। अधिकारी ने कहा, संबंधित विभाग देरी वाली परियोजनाओं की एक सूची बनाएंगे। हालांकि, 2023-24 के बजट में इन्हें कितना वित्तीय समर्थन मिलेगा, इस पर अंतिम फैसला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लेना है।
गति शक्ति मिशन की घोषणा सितंबर, 2021 में हुई थी। इसके बाद से सरकार देरी से चल रहीं 200 से ज्यादा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पहचान की है। इनमें पोर्ट कनेक्टिविटी, इस्पात, कोयला, उर्वरक और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण से जुड़ीं परियोजनाएं शामिल हैं। अधिकारी ने कहा, इनमें से कुछ परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और कई को मंजूरी की जरूरत है।
पीएम गति शक्ति मिशन 100 लाख करोड़ की योजना है। इसका मकसद देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र को और मजबूत करना है। यह रेल और सड़क सहित कुल 16 मंत्रालयों को साथ लाने का एक डिजिटल मंच है। इन मंत्रालयों को इस मंच पर लाकर बड़ी परियोजनाओं के लिए समन्वय स्थापित करना है। सभी विभागों के एक ही मंच पर आने से उन्हें दूसरे विभागों की परियोजनाओं के बारे में पता चलेगा। इस मिशन को बेहतर तरीके से चलाने की जिम्मेदारी डीपीआईआईटी के लॉजिस्टिक्स विभाग की है।
निवेश बढ़ाने के लिए राज्यों को कर्ज मुक्त ब्याज : वित्त मंत्री ने पूंजीगत निवेश बढ़ाने के लिए अप्रैल, 2022 में राज्यों को एक लाख करोड़ की मदद की घोषणा की थी। कहा था कि 50 साल के लिए दिया जाने वाला यह ब्याज मुक्त कर्ज राज्यों की सामान्य उधारी से अधिक है। एक लाख करोड़ रुपये में से करीब 5,000 करोड़ रुपये पीएम गति शक्ति से संबंधित खर्च के लिए थे।
सिर्फ पूंजीगत लाभ, लाभांश या ब्याज आय पर कर देने वाले आयकरदाताओं के लिए बजट में सरल आयकर रिटर्न फॉर्म लाया जाना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि बजट में पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था को भी युक्तिसंगत बनाए जाने की जरूरत है। आयकर कानून के तहत पूंजीगत संपत्ति के हस्तांतरण पर होने वाले लाभ (चल व अचल) पर पूंजीगत लाभ के तहत कर लगाया जाता है।
विभिन्न संपत्ति वर्ग के लिए कर की दर अलग-अलग है। परिसंपत्ति को पास में रखने के आधार पर लघु या दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। डेलॉय इंडिया के भागीदार रोहिंटन सिधवा ने कहा, विभिन्न प्रकार की संपत्तियों के लिए होल्डिंग अवधि व पूंजीगत संपत्तियों के लिए कर दरों को सरल बनाना चाहिए।