UP में शूद्र के सहारे दलितों और पिछड़ों की लामबंदी शुरू, अखिलेश यादव ने राजनीतिक लड़ाई को दिया नया रंग
लखनऊ : माजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव द्वारा यह कहकर ‘मैं शूद्र हूं या नहीं’ ने राजनीतिक लड़ाई को नया रंग दे दिया है। इस शब्द के सहारे पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलितों को लामबंद करने की चाहत में सपा मुख्यालय के बाहर मंगलवार को एक पोस्टर लगाया गया, जिसमें लिखा गया है कि ‘गर्व से कहो हम शूद्र हैं।’ अखिल भारतीय कुर्मी क्षेत्रीय महासभा मुंबई महाराष्ट्र की ओर से लगाए गए इस पोस्टर पर संगठन के राष्ट्रीय महासचिव ने अपने नाम के आगे डॉ. शूद्र उत्तम प्रकाश सिंह पटेल लिखवाया है। इसमें सबसे पहले लिखा गया है जय शूद्र समाज, फिर 6743 जातियां शूद्र समाज लिखा गया है। इस पोस्टर के बाद बहस छिड़ गई है।
सपा प्रवक्ता सुनील सिंह साजन कहते हैं कि जब धर्मग्रंथों में लिखा है कि चार प्रमुख वर्ग है, पहला क्षत्रिय, दूसरा ब्राह्मण, तीसरा वैश्य और चौथा शुद्र, तो इसमें शूद्र होने पर गर्व करने में कौन सी दिक्कत है। दरअसल, अखिलेश ने सोमवार को कहा था कि मैं सीएम योगी से पूछना चाहूंगा कि मैं शूद्र हूं या नहीं।
रविवार की देर शाम करहल पहुंचे सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि वह सदन में सीएम योगी से पूछेंगे कि वे शूद्र हैं या नहीं। कहा कि वे या सपा श्रीराम और श्रीरामचरित मानस के खिलाफ नहीं है। लेकिन, मानस में जो लिखा है उसे नकारा नहीं जा सकता है। यह सवाल हमारा और आपका नहीं है। स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा की गई रामचरित मानस पर टिप्पणी के सवाल को टाल गए। मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण अवार्ड को लेकर कहा कि जब लेटर मिल जाएगा तब इस पर बोलेंगे। स्वामी प्रसाद पर मुकदमा दर्ज कराने के सवाल पर कहा कि यह भाजपा है और इसमें कोई भी किसी पर मुकदमा दर्ज करा सकता है।