रूस से मिलेगा तीसरा S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
नई दिल्ली : रूस जल्द ही भारत को सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल सिस्टम की तीसरी खेप देगा. रूस ने मिसाइल सिस्टम की पहली दो खेप की सप्लाई कर दी है. रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि दोनों देश इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए प्रतिबद्ध हैं.
अलीपोव ने कहा कि इसे निकट भविष्य में पूरा किया जाएगा. दोनों पक्ष डील को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम निश्चित तौर पर वह करेंगे. इसे कोई रोक नहीं सकता. रूस के राजदूत भारत-रूस संबंधों पर एक सम्मेलन में मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
उनसे पूछा गया कि वह यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष खत्म होने में भारत की कोई भूमिका देखते हैं, इस पर अलीपोव ने कहा कि मॉस्को इसे कूटनीतिक तरीके से खत्म करने के लिए किसी भी गंभीर बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, हमारे विदेश मंत्री कहते हैं कि हम किसी भी गंभीर बातचीत के लिए तैयार हैं चाहे कोई भी उसकी पेशकश करे. अभी ऐसा कुछ नहीं है.
उन्होंने कहा, अगर भारत इसमें अधिक सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है तो हम निश्चित तौर पर बहुत ध्यान से भारत को सुनेंगे और हम सभी प्रस्तावों पर बहुत गंभीरता से विचार करेंगे. लेकिन यह भारत पर निर्भर करता है कि वह इस जटिल संघर्ष में शामिल होना चाहता है या नहीं.
रूसी राजदूत ने कहा कि भारत के साथ उनके देश के रक्षा संबंध अभूतपूर्व हैं. राजदूत ने कहा, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस पर विशिष्ट संयुक्त उद्यम आदर्श है. रूस और भारत आधुनिक एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा सिस्टम के लिए डील समेत सभी समझौतों को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
भारत ने अक्टूबर 2018 में अमेरिका की चेतावनी के बावजूद रूस से एस-400 वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए 5 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
S-400 मिसाइल सिस्टम का पूरा नाम है – एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System). यह आसमान से घात लगाकर आते हमलावर को पलभर में राख में बदल देता है. इसकी तैनाती के बाद दुश्मन पहले यह सोचता है कि हमला करना है या नहीं. क्योंकि इसके सामने कोई हथियार नहीं टिकता. यह दुनिया की सबसे सटीक एयर डिफेंस प्रणाली है. एशिया में शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसे मिसाइल की जरुरत थी, जो अब पूरी हो चुकी है.
चीन हो या पाकिस्तान S-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम के बल पर भारत न्यूक्लियर मिसाइलों को अपनी जमीन तक पहुंचने से पहले ही हवा में ही ध्वस्त कर देगा. S-400 मिसाइल सिस्टम के रडार से भारत चीन-पाकिस्तान की सीमा के अंदर भी उस पर नजर रख सकेगा. जंग के दौरान भारत S-400 सिस्टम से दुश्मन के लड़ाकू विमानों को उड़ने से पहले निशाना बना लेगा. चाहे चीन के जे-20 फाइटर प्लेन हो या फिर पाकिस्तान के अमेरिकी एफ-16 लड़ाकू विमान.
S-400 को नाटो द्वारा SA-21 Growler लॉन्ग रेंज डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी कहा जाता है. माइनस 50 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है. क्योंकि इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती. इसलिए इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं कर सकते.
S-400 में चार रेंज की मिसाइलें होती हैं. ये हैं- 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर. यह सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट को पहचान कर नष्ट कर सकता है. इसका रडार बहुत ही ज्यादा ताकतवर है. 600 किलोमीटर तक की रेंज में करीब 160 टारगेट ट्रैक कर सकता है. 400 किलोमीटर तक 72 टारगेट को ट्रैक कर सकता है. यह सिस्टम मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है.
शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका में हथियार बनाने की होड़ मची हुई थी. जब रूस अमेरिका जैसी मिसाइल नहीं बना सका तो उसने ऐसे सिस्टम पर काम करना शुरू किया जो इन मिसाइलों को टारगेट पर पहुंचने पर पहले ही खत्म कर दे. 1967 में रूस ने एस-200 प्रणाली विकसित की. ये एस सीरीज की पहली मिसाइल थी. साल 1978 में एस-300 को विकसित किया गया. एस-400 साल 1990 में ही विकसित कर ली गई थी. साल 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई. इसके बाद 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहली एस-400 मिसाइल सिस्टम को तैनात किया गया.
पाकिस्तान के पास HQ-9 एयर डिफेंस प्रणाली है. लेकिन यह S-400 की तुलना में कितना ताकतवर है. ये भी जान लेते हैं. पाकिस्तानी एयर डिफेंस प्रणाली की रेंज अधिकतम 300 किलोमीटर है. जबकि एस-400 की 400 से ज्यादा. HQ-9 अधिकतम 4900 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा है. लेकिन एस-400 के चारों वैरिएंट्स की अलग-अलग गति है. ये 3185 किलोमीटर से लेकर 17,287 किलोमीटर प्रतिघंटा तक है.
पाकिस्तान की HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम की मिसाइलों की अधिकतम उड़ान सीमा 12 किलोमीटर, 41 किलोमीटर और 50 किलोमीटर है. जबकि, भारतीय S-400 एयर डिफेंस की मिसाइलें 20 किलोमीटर, 30 किलोमीटर और 60 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाकर दुश्मन की मिसाइल को वहीं खत्म कर सकती हैं.