इस बार महाशिवरात्रि है बेहद खास, बेहद दुर्लभ संयोग में मनेगी महाशिवरात्रि
नई दिल्ली : वैसे तो शिवरात्रि हर माह पड़ती है, लेकिन फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को होने वाली महाशिवरात्रि विशेष होती है. विशेष इसलिए क्योंकि इस दिन परमपिता महादेव और जगत जननी मं पार्वती के विवाह की शुभ रात्रि होती है. बैरागी होकर भी शिवजी ने ब्रह्माजी के आग्रह पर विवाह करना स्वीकार किया तभी तो पृथ्वी पर सृजन यानी स्त्रियों के गर्भ धारण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई.
रिद्धि-सिद्धि के दाता गणेश और कार्तिकेय जैसे शिव-पार्वती पुत्र परिवार में आदर, सम्मान, एकता और संगठन का संदेश देते हैं. महाशिवरात्रि में शिव-पार्वती का विवाह तो हुआ ही था, साथ ही इसी रात्रि में देवों के भी देव महादेव प्रथम बार लिंग रूप में प्रकट भी हुए थे. तब से आज तक निरंतर शिवलिंग की पूजा की जा रही है. क्योंकि शिव शब्द उच्चारण में बहुत ही सरल, मधुर और शांतिदायक है. शिव शब्द का अर्थ होता है कल्याणमय आनंद. जहां आनंद कल्याण है, वहीं शांति भी है.
महाशिवरात्रि पर शिवजी की साधना-आराधना, पूजा-पाठ पूरे मनोयोग और विधि-विधान से करने पर भक्तों की समस्याओं का समाधान होता और मनोकामना की पूर्ति होती है.
इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 शनिवार को रात 8 बजकर 2 मिनट से अगले दिन शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. महाशिवरात्रि के लिए निशिता काल पूजा का मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में होना आवश्यक है, इसलिए महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी.
इस बार महाशिवरात्रि पर वर्षों बाद दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. इस साल महाशिवरात्रि के दिन ही शनि प्रदोष व्रत भी है. शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है. साथ इस दिन वाशी योग, सुनफा योग, शंख योग और शाम 5 बजकर 41 मिनट के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इन शुभ योगों में किए गए पूजा-पाठ और कार्यों का कई गुना अधिक फल मिलता है.
महाशिवरात्रि पर ग्रह संयोग के बारे में बताते हैं कि, इस बार महाशिवरात्रि पर शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे. साथ ही सूर्यदेव अपने पुत्र एवं शत्रु शनि की राशि कुंभ में चन्द्रमा के साथ विराजित रहेंगे. ग्रहों की ये स्थिति त्रिग्रही योग का निर्माण कर रही है. ग्रहों की यह दुर्लभ स्थिति खास लाभकारी होगी. इस दौरान शनिदेव अपनी प्रिय राशि कुंभ में अस्त होने से करियर और आर्थिक मामलों की दृष्टि से यह स्थिति बहुत ही बेहतर होगी. ऐसे में महाशिवरात्रि का व्रत रखने और शिवजी की पूजा करने से शनि के सभी दोष दूर होंगे और हर मनोकामना पूरी होगी.
महाशिवरात्रि के दिन चारों पहर भगवान शिव की पूजा आप कर सकते हैं. लेकिन जिन लोगों को महाशिवरात्रि पर निशिता काल में पूजा करनी है, उनके लिए समय रात 12 बजकर 09 मिनट से देर रात 01 बजे तक रहेगा.
इस साल महाशिवरात्रि के दिन गुरु भी अपनी प्रिय मीन में और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में विराजित होने से मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि वालों के लिए हंस योग और मालव्य योग रहेगा जोकि बेहद ही शुभ माना जाता है. वहीं वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि वालों के लिए शश योग रहेगा. नौकरी-व्यापार की दृष्टि से यह स्थिति बेहद ही शुभ मानी जाती है. शेष रही, मेष, कर्क, तुला और मकर राशि वालों के लिए सामान्य फलदायी रहेगा.
महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा के लिए बहुत लंबे चौड़े पूजा-पाठ, हवन-अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं है. भोले भंडारी शिव तो श्रद्धापूर्वर केवल शिवलिंग पर शुद्ध जल और बिल्वपत्र अर्पित कर ऊँ नमः शिवाय का जाप करने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं. भक्त में विश्वास, श्रद्धा और निष्ठा हो तो कामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती है और महाशिवरात्रि तो सिद्धिदायक समय है. क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को चन्द्रमा-सूर्य के समीप होते हैं. इस कारण इस समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिव रूपी सूर्य के साथ योग-मिलन होता है, जो सिद्धि प्रदान करता है.