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सिलिकोसिस से बचाव के लिए निर्माण की नई तकनीक का हो प्रयोग – मुख्य सचिव

जयपुर । मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि सिलिकोसिस से बचाव ही उपचार है, इसलिए माइंस, निर्माण स्थलों, मंदिरों आदि के निर्माण में नई तकनीक काम में ली जानी चाहिए जिससे श्रमिकों में सिलिकोसिस होने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि नई तकनीक काम में लेना नियोक्ताओं के लिए भी कार्य की गति बढ़ाने एवं आर्थिक रूप से फायदेमंद है। मुख्य सचिव सोमवार को शासन सचिवालय में विशेष योग्यजन निदेशालय की सिलिकोसिस निवारण के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रही थी।

बैठक में शर्मा ने जिला कलेक्टरों को निर्देशित करते हुए कहा कि सभी जिलों में सिलिकोसिस हॉटस्पॉट क्षेत्रों में आईईसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए और सिलिकोसिस के प्रति जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि सिलिकोसिस के बचाव के प्रति नई तकनीक और जागरूकता संबंधी वीडियो बनाए जाएं। साथ ही कैंप लगाकर तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से खान मालिकों, निर्माण मालिकों एवं श्रमिकों को जागरूक किया जाए। उन्होंने हॉटस्पॉट क्षेत्रों की नियमित मॉनिटरिंग के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सिलिकोसिस पीड़ितों की पहचान एवं बचाव में जोधपुर, पाली, दौसा, बूंदी, डूंगरपुर जिलों ने अच्छा काम किया है। इन जिलों को अपनी बेहतरीन कार्यप्रणाली अन्य जिलों के साथ साझा करने के निर्देश दिए।

पोर्टल पर साझा होगी सिलिकोसिस पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट- मुख्य सचिव ने नियोक्ताओं द्वारा श्रमिकों की नियमित रूप से मेडिकल जांच करने और जांच की रिपोर्ट सिलिकोसिस पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए। जिससे सिलिकोसिस पीड़ितों की पहचान और उन्हें मुआवजा राशि देना आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पोर्टल पर श्रमिकों की जानकारी साझा करने से किस स्थल पर श्रमिक कब से कार्य कर रहा है और उसकी मेडिकल जांच नियमित रूप से कितनी बार की गई, इसकी भी पुष्टि की जा सकेगी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने कहा कि सिलिकोसिस पोर्टल पर एक महीने के भीतर जिलेवार मेडिकल रिपोर्ट डालने की सुविधा उपलब्ध करवा दी जाएगी। साथ ही उन्होंने खानों, पत्थर कटिंग में ऑटोमेटिक टूल्स काम लिए जाने पर जोर दिया जिनसे प्रदूषण का स्तर कम किया जा सकता है।

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