नईदिल्ली : शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर चल रही जंग में उद्धव ठाकरे गुट को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने एकनाथ शिंदे गुट को सिंबल और नाम का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही दोनों पक्षों को इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दो सप्ताह के बाद अब इस मामले पर सुनवाई होगी। अदालत का यह फैसला एक तरफ शिंदे गुट के लिए बड़ी राहत है तो वहीं उद्धव ठाकरे को फिर से निराश करने वाला है।
उद्धव ठाकरे गुट ने मांग की थी कि आखिरी फैसला होने तक एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और सिंबल इस्तेमाल करने से रोक दिया जाए। इस मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। उद्धव ठाकरे की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले का आधार लचर है। इस मामले में कोई अंतिम फैसला होने तक स्टे लगना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले से गंभीर चिंता पैदा होती है।
सिब्बल ने कहा कि आयोग ने विधायकों और सांसदों के बहुमत के आधार पर पार्टी के नाम और निशान का अधिकार शिंदे गुट को दे दिया, लेकिन यह आधार ठीक नहीं था। इसके लिए संगठन किसके साथ है, यह भी जानना चाहिए था। वहीं शिंदे गुट के वकील एनके कौल ने कहा कि यह अर्जी सुनवाई के योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट क्यों आया है। इस पर पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए था।
इस बीच कानून के जानकारों का कहना है कि सिंबल और नाम पर फैसला करने का अधिकार चुनाव आयोग को है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से उद्धव ठाकरे को राहत मिलने की उम्मीद कम ही है। अदालत ने स्टे लगाने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि हम आपकी और दूसरे पक्ष की दलीलों को सुने बिना कोई भी फैसला नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा कि हम आप लोगों को वक्त देते हैं कि दो सप्ताह में जवाब दाखिल करें। उसके बाद इस पर सुनवाई की जाएगी। गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे गुट ने अब पार्टी के कार्यालय पर भी दावा ठोक दिया है। उनका कहना है कि अब हमें शिंदे गुट ना कहा जाए बल्कि हम ही अब शिवसेना हैं।