राजस्थानराज्य

दलित और आदिवासी वर्गों को जीवन में आगे बढ़ाएगी यह योजना : जिला कलेक्टर

भरतपुर : डाॅ. भीमराव अंबेडकर राजस्थान दलित, आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना-2022 के तहत जघीना गेट स्थित एक होटल में जिला स्तरीय जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई। इसका उद्देश्य राज्य के गैर कृषि क्षेत्रों यथा विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार के विकास में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग का योगदान बढ़ाने में उनकी प्रभावी भूमिका सुनिश्चित करने एवं योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करना था। इस कार्यशाला का आयोजन जिला उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा किया गया।

जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने कहाकि जिले में औद्योगिक विकास को गति देने में डाॅ. भीमराव अंबेडकर राजस्थान दलित, आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना-2022 की महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही दलित एवं आदिवासी वर्गों के लोगों का राज्य एवं देश के विकास में भागीदारी भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहाकि किसी भी उद्योग की स्थापना के लिए भूमि, पूंजी, श्रमिक, प्रबंधन एवं उद्यमशीलता की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के पास श्रमिक एवं उद्यमशीलता पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। भूमि एवं पूंजी की पूर्ति हेतु अन्य वर्ग के लोगों के साथ भागीदारी फर्म बनाकर की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत एकल उद्योग के साथ ही पार्टनरशिप, संस्थागत, सोसायटी एवं समूह आधारित भागीदारी के माध्यम से भूमि एवं पूंजीगत व्यवस्था सुनिश्चित कर बड़े उद्योगों की स्थापना की जा सकती है। साथ ही इसके माध्यम से बैंकों पर भी निर्भरता को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सीमित राजकीय सेवाओं के कारण बेरोजगार युवाओं के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए क्षेत्र में उद्योग स्थापित कर रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि युवाओं में उद्यम स्थापना के लिए सकारात्मक सोच विकसित करने, आत्मविश्वास बढ़ाने एवं स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। उन्होंने सम्बंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे आपसी समन्वय से भावी उद्यमियों की समस्याओं के समाधान के साथ ही एनसीआर एवं टीटीजेड की प्रतिबंधतात्मक निर्देशों एवं क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर उद्योग स्थापना के सम्बंध में जानकारी दें।

शिविर में जिला उद्योग एवं वाणिज्य केन्द्र के महाप्रबंधक बीएल मीना ने बताया कि योजना में लक्षित वर्गों को उद्योग, सेवा एवं व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित परियोजनाओं की स्थापना, विस्तार, विविधिकरण एवं आधुनिकीकरण हेतु प्रभावी मार्गदर्शन, प्रदर्शन, सहयोग सहित विभिन्न प्रकार की सहायताएं एवं सुविधाएं उपलब्ध करवाये जाने के प्रावधान किए गए हैं।

योजना में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंधित गतिविधियों, कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों (पशुपालन, पक्षीपालन, उद्यानिकी आदि) के अतिरिक्त समस्त वैध विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार क्षेत्र में नवीन उद्यम स्थापित करना, स्थापित उद्यम में विस्तार, विविधिकरण, आधुनिकीकरण करना सम्मिलित होगा एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के 18 वर्ष से अधिक उम्र के आवेदक योजनान्तर्गत पात्र होंगे।

योजनान्तर्गत विनिर्माण उद्योग हेतु 10 करोड रूपये तक, सेवा उद्यम हेतु 5 करोड रूपये तक तथा व्यापार क्षेत्र हेतु 1 करोड रूपये राशि तक की परियोजना लागत हेतु वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से अधिकतम 85 से 90 प्रतिषत तक 3 से 7 वर्ष के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा, जिसके लिये आवेदकों को सीजीटीएमएसई अंतर्गत गारंटी फीस का भुगतान, परियोजना लागत की 25 प्रतिषत अथवा 25 लाख रूपये में से जो भी कम हो तक मार्जिन मनी अनुदान तथा 5 वर्ष तक 6 से 9 प्रतिषत तक ब्याज अनुदान संबंधी वित्तीय सुविधाएं राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जावेंगी।

शिविर में रीको के डीजीएम सी.एल. गांधीवाल, जिला काॅर्डिनेटर डिक्की गिरधारी लाल बैरवा, बीआरकेजीबी के मुख्य प्रबंधक धर्मेन्द्र परमार, पीएनबी के मुख्य प्रबंधक मनीष बुलिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए गए। कार्यक्रम में विभिन्न विभाग एवं बैंक अधिकारियों सहित सामाजिक संगठनों से जुड़े पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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