नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को आबकारी नीति मामले में हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत तीन दिन के लिए और बढ़ा दी। मामले में घंटों पूछताछ के बाद पिल्लई को 6 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने 7 मार्च को पिल्लई को ईडी की हिरासत में भेज दिया, जिसकी अवधि सोमवार को समाप्त हो गई। मामले की सुनवाई कर रहे जज ने सोमवार को उनकी हिरासत तीन दिन और बढ़ा दी।
10 मार्च को पिल्लई ने उसी अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें मामले में जांच एजेंसी को दिए गए अपने बयानों को वापस लेने की मांग की गई थी। इसके चलते अदालत ने ईडी को नोटिस जारी किया। उनकी गिरफ्तारी ईडी द्वारा इस मामले में की गई 11वीं गिरफ्तारी है।
ईडी ने आरोप लगाया है कि पिल्लई निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं का एक ग्रुप (कार्टेल) बनाने में शामिल थे, जिसने राष्ट्रीय राजधानी में शराब के 30 प्रतिशत से अधिक कारोबार को नियंत्रित किया।
केंद्रीय एजेंसी ने उक्त कार्टेल जिसे दक्षिण समूह का नाम दिया। इसमें बीआरएस नेता के. कविता, सरथ रेड्डी, मगुनता श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मगुन्टा और अन्य शामिल हैं।
एजेंसी ने दावा किया है कि दक्षिण समूह का प्रतिनिधित्व अरुण पिल्लई, अभिषेक बोइनपल्ली और बुच्ची बाबू ने किया था। ईडी ने कहा कि पिल्लई 32.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ इंडो स्पिरिट्स में भागीदार हैं और उन्होंने के. कविता के हित का प्रतिनिधित्व किया।
पिल्लई और एक अन्य व्यक्ति ने अपने बयानों में इसका खुलासा किया है। पिल्लई ने पेपर पर इंडो स्पिरिट्स में 3.40 करोड़ रुपये का निवेश किया। जैसा कि जांच में पता चला, कविता के निर्देश पर इस राशि में से 1 करोड़ रुपये पिल्लई को दिए गए थे।
ईडी ने कहा कि इस प्रकार 3.40 करोड़ रुपये का फंड जो इंडो स्पिरिट्स (साउथ ग्रुप द्वारा भुगतान की गई रिश्वत की भरपाई के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन और अवैध लाभ को चैनल) में निवेश दिखाता था, अपराध की आय है.