पैंट पर गोली का छेद नहीं मिला, चार साल बाद आरोपी अदालत से बरी; फॉरेंसिक रिपोर्ट से खुली सच्चाई
नई दिल्ली: पैंट में छेद किए क्या किसी की जांघ में लग सकती है। अधिकांश लोग इसका जवाब ना में देंगे, लेकिन पुलिस ने इसे न केवल सच माना, बल्कि गोली चलाने के आरोपी को जेल भेज दिया। वह चार साल से ज्यादा समय तक जेल में रहा। अदालत को जब मामला संदिग्ध लगा तो उन्होंने इसकी जांच फॉरेंसिक डॉक्टर से करवाई। रिपोर्ट में पता लगा कि पीड़ित को गोली ही नहीं लगी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गौतम मनन की अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया है।
29 दिसंबर 2016 को भरथल गांव निवासी गौरव पति त्रिपाठी ने पंचम सिंह रावत पर गोली चलाने का आरोप लगाया था। उसने बताया कि दरवाजे के बाहर से पंचम ने गोली चलाई जो उसकी जांघ में लगी। जांघ पर लाल निशान बना था। पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया और जुलाई 2018 में पंचम को गिरफ्तार कर लिया। पीड़ित ने अदालत में बताया कि आरोपी पहले भी उसे मैसेज कर धमकी दे चुका था। उसे लगता था कि उसकी पत्नी और पीड़ित के बीच नजदीकियां हैं। इसको लेकर वह उसे जान से मारने आया था।
पुलिस ने जब छानबीन की तो पीड़ित के मोबाइल से कोई धमकी का मैसेज नहीं था। संदेह के चलते अदालत ने दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉक्टर बीएन मिश्रा को जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा। डॉक्टरों ने रिपोर्ट में बताया कि पीड़ित के आरोप सच नहीं हैं। इस रिपोर्ट को अदालत में पेश किया गया। रिपोर्ट सहित अन्य तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आरोपी को अदालत ने बरी कर दिया। अदालत ने वारदात के समय पीड़ित द्वारा पहनी गई पैंट को मंगवाया।
फॉरेंसिक रिपोर्ट में सामने आए ये पांच प्रमुख तथ्य
● गोली लगने वाला दरवाजा तीन हिस्सों में था। ऊपर और नीचे जाली थी, जबकि बीच में लोहे की पती थी। अगर आरोपी को उसे मारना था तो वह लोहे की पती की जगह जाली के रास्ते मार सकता था।
● मौके से बरामद गोली 9.9 एमएम थी, जबकि दरवाजे पर मौजूद छेद केवल 3 एमएम का था। इससे साफ था कि गोली दरवाजे के पार नहीं हुई।
● दरवाजे पर जहां छेद बना था, उस जगह से गोली अगर निकलती तो वह पीड़ित के पेट में लगती, जांघ में नहीं।
● तस्वीर में पीड़ित की चोट ऐसी दिख रही थी जो किसी घिसाव के चलते हो सकती है।
● पीड़ित की पैंट में छेद नहीं है, ऐसे में गोली उसकी जांघ में लगना असंभव