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स्मृति ईरानी के मंत्रालय ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी से कहा था- ‘वीआईपी की शिकायत’ पर जवाब दें

0.jpg-nggid03281-ngg0dyn-160x120x100-00f0w010c011r110f110r010t010हैदराबाद: 26 साल के पीएचडी स्टूडेंट रोहित वेमूला की हैदराबाद यूनिवर्सिटी में खुदकुशी के बाद छह चिट्ठियां सामने आई हैं। जाहिर है कि इस पूरे मामले पर राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है। इन छह में से पांच लेटर स्मृति ईरानी की एचआरडी मिनिस्ट्री की ओर से यूनिवर्सिटी को लिखे गए हैं जिन्हें इस मामले में बढ़ते राजनीतिक दबाव और हस्तक्षेप के सबूत के तौर पर लिया जा रहा है।

ये खत सितंबर से लेकर नवंबर के बीच भेजे गए हैं। इनमें बंडारू दत्तात्रेय द्वारा लिखित रूप में की गई शिकायत पर यूनिवर्सिटी से रिस्पॉन्ड करने के लिए कहा गया था। इसके बाद रोहित समेत पांचों स्टूडेंट्स को हॉस्टल और कैफेटेरिया से 21 दिसंबर को प्रतिबंधित कर दिया गया था।  इस बात से इंकार करते हुए कि यूनिवर्सिटी पर मंत्रालय की ओर से कोई प्रेशर गया, स्मृति ईरानी ने कहा- हर कोई जानता है कि केंद्रीय कानून के तहत, प्रशासनिक नियंत्रण यूनिवर्सिटी के हाथ में रहता है, न कि सरकार के हाथ में।

खुदकुशी के करीब एक माह पहले हैदराबाद की सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला ने वाइस चांसलर को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उसने दलित छात्रों को जहर या अच्‍छी रस्‍सी उपलब्‍ध कराने को कहा था। हालांकि समाचार एजेंसियों के मुताबिक रोहित दलित नहीं था, लेकिन 18 दिसंबर के अपने पत्र में उसने अपने को लगातार दलित के रूप में बताया है।

इच्‍छामृत्‍यु की सुविधा उपलब्‍ध कराने का आग्रह किया था
अपने हाथ से लिए इस पत्र में रोहित ने लिखा है, ‘कृपया दाखिले के समय सभी दलित छात्रों को 10 मिलीग्राम सोडियम एजाइड दे दीजिए। जब वे खुद को अंबेडकर की तरह महसूस करें तो उन्‍हें इसके उपयोग की विधि बता दी जाए। अपने सहयोगी, ग्रेट चीफ वार्डन से सभी दलित छात्रों के कमरों में एक अच्‍छी रस्‍सी भिजवा दें।’रोहित ने रूखे अंदाज में कहा है कि वह और उसके जैसे लोग दलित स्‍वाभिमान आंदोलन के सदस्‍य हैं और उन्‍होंने आसानी से छुटकारा नहीं मिलने वाला। इसलिए मैं अपने जैसे छात्रों के लिए इच्‍छामृत्‍यु की सुविधा उपलब्‍ध कराने का आग्रह कर रहा हूं।

हॉस्‍टल-मैस से किया गया था प्रतिबंधित
इस पत्र के तीन दिन बाद रोहित और चार अन्‍य छात्रों को हॉस्‍टल और मैस से प्रतिबंधित किया गया। इन्‍हें केवल क्‍लास अटेंड करने की इजाजत थी। इस प्रतिबंध को उनके दोस्‍त सामाजिक बहिष्‍कार के तौर पर देख रहे थे। रोहित के दोस्‍त बताते हैं कि वह (रोहित) बुरी तरह से टूट गया था। दो सप्‍ताह से वह कैंपस गेट के बाहर टेंट में रह रहा था और लगातार वाइस चांसलर से मीटिंग की बात कह रहा था।

खुदकुशी के पहले लिखे पत्र की थी एकदम अलग भाषा
रविवार को हॉस्‍टल के रूम में  फांसी लगाने के पहले उसने एक और पत्र लिखा लेकिन इस बार अपनी जाति का उल्‍लेख नहीं किया। उसने लिखा था, ‘मेरी खुदकुशी के पीछे कोई जिम्मेदार नहीं है। किसी ने मुझे नहीं उकसाया है युनिवर्सिटी के छात्रों का आरोप है कि दत्तात्रेय के स्मृति ईरानी को चिट्ठी लिखने के बाद रोहित को कैम्पस के होस्टल और दूसरे इलाकों में जाने से रोक दिया गया था। मेरे जाने के बाद मेरे दोस्‍तों और दुश्‍मनों को परेशान नहीं करना। पत्र की भाषा कुछ हद तक उसकी कड़वाहट के बजाया उसके अवसादग्रस्‍त और उदास होने का अहसास कराती प्रतीत होती है। अपनी आत्‍मा और शरीर के अंतर के बारे में वह रोहित ने लिखा था, ‘मेरा जन्‍म अपने आप में एक दुर्घटना है। मैं बचपन के अपने अकेलेपन से कभी नहीं उबर पाया।’

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