नई दिल्ली : किडनी हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में शामिल है. बीन्स के आकार की तरह दिखने वाली किडनी खून को प्यूरीफाई करने के साथ ही शरीर से टॉक्सिन्स (toxins) को बाहर निकालने का काम भी करती है. अगर आपकी किडनी में किसी वजह से खराब हो जाती है तो इसकी वजह से आपका शरीर कई बीमारियों से घिरने लगता है. किडनी शरीर में पीएच स्तर, नमक और पोटेशियम की मात्रा को भी नियंत्रित करती है. गलत खानपान और जीवनशैली की वजह से किडनी में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं. अधिक शराब का सेवन, हृदय रोग, हेपीटाइटिस सी और एचआईवी भी किडनी में खराबी की मुख्य वजहें हैं.
नारायणा हेल्थ के कंसल्टेंट, नेफ्रोलॉजिस्ट एंड ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. गणेश श्रीनिवास प्रसाद के मुताबिक, किडनी की बीमारियों को साइलेंट किलर इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि 90 फीसदी मरीजों में आखिरी स्टेज तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देते. इनसे बचने के लिए जरूरी है कि किडनी रोग के शुरुआती संकेत की पहचानकर उसका इलाज किया जाए.
डॉ प्रसाद ने बताया कि किडनी की बीमारी आमतौर पर प्रारंभिक अवस्था में साइलेंट होती है. सीरम क्रिएटिनिन और यूरीन एल्ब्यूमिन डिटेक्शन जैसी जांचों की मदद से इसका निदान करने की कोशिश की जाती है. बाद के चरणों में किडनी की समस्या से ग्रसित रोगियों के पूरे शरीर में सूजन, यूरीन में झाग और कभी-कभी खून भी आ सकता है. किडनी की कार्य क्षमता जैसे-जैसे कमजोर होती जाती है, शरीर में विषाक्त पदार्थों जमा होने लगते हैं जिससे पीठ दर्द, पेट के निचले हिस्से और पसलियों में दर्द होता है त्वचा में खुजली, सूखापन भी किडनी की गड़बड़ी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. डॉ प्रसाद ने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर किडनी की समस्याओं के सबसे आम और शुरुआती चेतावनी संकेतों में से एक है.
डॉ ने कहा, “जिन रोगियों को हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे की समस्या है उन्हें नियमित रूप से अपनी किडनी की जांच करानी चाहिए, भले ही कोई लक्षण ना हो.”
डॉक्टर के अनुसार, किडनी से शुरुआती चेतावनियों का पता लगाने के लिए समय-समय पर किडनी की जांच बेहद जरूरी है. खासतौर पर ऐसे मरीजों जिन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या किडनी की बीमारी की फैमिली हिस्ट्री है, उन्हें खासतौर पर समय-समय पर अपना टेस्ट जरूर करवाना चाहिए.
किडनी से जड़ी बीमारियों की जांच के बारे में बताते हुए डॉक्टर छाबड़ा कहते हैं, ”किडनी फंक्शन टेस्ट, यूरीन इवैलुएशन और ब्लड प्रेशर से जुड़े टेस्ट किडनी से जुड़ी परेशानियों का शुरुआती स्टेज में पता लगा सकते हैं जिसके बाद सही इलाज मिलने पर किडनी की बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.”