सावधान! घर का वायु प्रदूषण भी हो सकता है नवजात के लिए खतरनाक
नई दिल्ली: भारत में बढ़ रहा प्रदूषण सभी के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। जहां एक ओर लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो रही है, वहीं मौसम आ रहे बदलाव भी लोगों की कई तरह का बीमारी का शिकार बना रही हैं। बढ़ते प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए ही दिल्ली में ऑड-ईवन फॉर्मूला लाया गया, जिससे आगे आने वाली गंभीर समस्याओं को रोका जा सके। ऐसा नहीं है कि यह प्रदूषण सिर्फ शहरों में ही लोगों को परेशान करता है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी चूल्हा, लकड़ी आदि से वायु प्रदूषण फैल रहा है, जो सिर्फ बड़ों को ही नहीं बल्कि नए जन्में बच्चों के लिए भी खतरनाक होता जा रहा है।
भारत के ग्रामीण इलाकों में नवजात बच्चों के जन्म के समय उनका वजन कम होने का सबसे बड़ा कारण घर के अंदर मौजूद प्रदूषण है। एक नए शोध में इसकी पुष्टि हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि चूल्हा, लकड़ी, कोयला आदि जलाने से घर में वायु प्रदूषण फैलता है। इससे श्वसन तंत्र (सांस लेने के सिस्टम) से जुड़ी तमाम बीमारियां फैलती हैं जिसकी सबसे अधिक शिकार महिलाएं होती हैं।
गर्भवती महिलाओं का लगातार वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना बच्चे में दिमाग संबंधी कोई रोग, अस्थमा और अनुचित वृद्धि से संबंधित परेशानी हो सकती है।
अपोलो हॉस्पिटल की गाइनोकोलॉजिस्ट बंदिता सिन्हा कहती हैं, “किसी भी महिला के लिए प्रेग्नेंसी के बीच का समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में महिला का वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना संतान की मृत्यु का कारण भी हो सकता है। हालांकि गैस पर खाना बनाने वाली महिलाओं की संतान को भी न्यूमोनिया और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता का सामना करना पड़ता है।”
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग पांच लाख लोग घर के अंदर वायु प्रदूषण की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे होते हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का कहना है कि साल 2016-17 के बीच हमारा लक्ष्य ग्रामीण महिलाओं को एलपीजी और स्टोव आदि का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना है। इस तरह से वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी।