अहमदाबाद : गुजरात में पहली बार आम आदमी पार्टी (AAP) से चुनाव जीतने वाले डेडियापाडा के आदिवासी नेता चैतर वसावा ने अब आदिवासियों (tribals) के लिए अलग राज्य की मांग कर दी है. आप विधायक ने अलग राज्य के नाम ‘भीलिस्तान’ बनाने का फॉर्मूला भी बता दिया है.
दरअसल जब देश आजाद हुआ था तो उस वक्त आदिवासियों के लिए अलग राज्य बनाने की मांग हुई थी, लेकिन अब 75 साल बाद एक बार फिर आम आदमी पार्टी के नेता चैतर वसावा ने भीलिस्तान की मांग को लेकर आंदोलन करने की बात कही है, जिसको लेकर गुजरात की राजनीति गरमा गई है.
भीलिस्तान की मांग को लेकर चैतर वसावा ने कहा कि हमारी ये मांग आज का मुद्दा नहीं है, ये मांग चार राज्यों के आदिवासियों की ओर से खडी हुई मांग है. जिसमें राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के आदिवासी शामिल हैं. गुजरात के बाहर से भी ये मांग उतनी ही खडी हुई थी. ये मांग आम आदमी पार्टी नहीं कर रही है, बल्कि यहां के स्थानीय आदिवासी लोग कर रहे हैं.
चैतर वसावा की भीलिस्तान की मांग के साथ ही राजनीति गरमा गई है. इसको लेकर कांग्रेस के आदिवासी नेता अनंत पटेल ने कहा कि आप के विधायक ने जो अलग राज्य को लेकर बयान दिया है, वो आने वाले राजस्थान और मध्य प्रदेश चुनाव में आदिवासी समाज के वोट बैंक को अपनी ओर करने के लिए दिया है.
चैतर वसावा ने जिस भीलिस्तान नाम के नए राज्य की मांग की है, उसमें राजस्थान के पाली, राजसमंद, उदयपुर, डूंगरपुर, चित्तौड़, प्रतापगढ़ जैसे जिले हैं. इसके अलाव मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच, रतलाम, झाबुआ और धार, महाराष्ट्र के भरवानी और गुजरात के दाहोद, पंचमहल, नर्मदा, साबरकांठा और बनासकांठा जिले शामिल हैं. जिसका एक अंग्रेजों द्वारा प्रपोज किया गया मैप भी चैतर वसावा ने ट्वीट किया है.
हालांकि गुजरात बीजेपी की महासचिव रजनी पटेल ने इस पर कहा कि देश को तोडने वाले किसी भी प्रयास को देश कभी सफल नहीं होने देगा. देश की आजादी के बाद से भीलिस्तान की मांग को लेकर अलग-अलग राय बनती आई है, वैसे में अब गुजरात में आप के नेता के जरिए भीलिस्तान की मांग की गई है, जिसे पहले छोटू वसावा की भारतीय ट्राइबल पार्टी भी कर रही थी.