करण जौहर : बचपन में लोग मुझे ‘लड़की जैसा’ बुलाते थे, मैं सो नहीं पाता था
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ जयपुर: जयपुर साहित्योत्सव में फिल्मकार करण जौहर ने अपनी जीवनी ‘An Unsuitable Boy’ का विमोचन किया और अपने जीवन से जुड़े कुछ अहम पहलुओं के बारे में बात की। करण ने कहा कि बचपन में वह कई रात यह सोचकर ठीक से सो नहीं पाते थे कि वह बाकी बच्चों से अलग हैं। ‘कुछ कुछ होता है’ से फिल्म निर्देशन में उतरे करण ने बताया कि उन्हें बचपन में पैन्सी (लड़की जैसा) कहा जाता था और यह शब्द उन्हें बिल्कुल नहीं अच्छा लगता था। करण ने बताया कि वह बचपन में थोड़ा अलग महसूस करते थे लेकिन उनके माता-पिता उनके लिए बहुत बड़ा सपोर्ट सिस्टम साबित हुए।
अपनी मां की बात करते हुए करण ने कहा कि ‘जब मैं 150 किलो का था तब मेरी मां कहती थी कि तुम दुनिया के सबसे सुंदर बच्चे हो और मेरे पिता कहते थे कि एक बार मैं थोड़ा सा दुबला हो जाऊं तो मैं हिंदी फिल्मों का हीरो भी बन सकता हूं।’ जब करण से फिल्मों में समलैंगिकों के नकारात्मक चित्रण के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि वह पहले ऐसे बॉलीवुड निर्देशक हैं जिसने फिल्मों में इस मुद्दे पर बात करना शुरू किया था।
मुख्यधारा में समलैंगिकता
‘दोस्ताना’ के निर्माता रहे करण ने कहा ‘कल हो ना हो या फिर दोस्ताना जैसी फिल्मों के साथ मैंने इस मुद्दे को मुख्यधारा में दिखाया। मेरे पास कई ऐसे युवाओं की चिट्ठियां आई जो कहते थे कि मेरी फिल्मों से उनके अभिभावकों को अपने बच्चों की लैंगिकता समझ में आई। अब तो कई फिल्में एलजीबीटी मुद्दे पर बन रही है और मुझे इस बात पर गर्व है।’ करण की यह बातचीत लेखिका शोभा डे और उनकी जीवनी लिखने वाली पूनम सक्सेना के साथ हुई थी।
9वें जयपुर साहित्योत्सव में इस बार विश्व साहित्य पर ध्यान रहेगा जिसकी शुरूआत कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ हुई जहां बुकर पुरस्कार विजेता केनेडा के उपन्यासकार और कवि मारग्रेट एटवुड ने अपने संबोधन से बड़ी संख्या में श्रोताओं का ध्यान अपनी तरफ खींचा। अलग अलग पृष्ठभूमि से करीब 360 से ज्यादा लेखक इस समारोह में शिरकत कर रहे हैं। साहित्य उत्सव का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसे ‘शब्दों का उत्सव’ बताया और गुपचुप किताब पढ़ने की अपनी बचपन की यादों को साझा किया।