अतीक की पत्नी शाइस्ता की याचिका खारिज; कोर्ट ने कहा- दोनों नाबालिग बेटे सुरक्षित है
प्रयागराज: उमेश पाल हत्याकांड के बाद से गायब चल रहे बाहुबली और माफिया पूर्व सांसद अतीक अहमद के दोनों बेटों मोहम्मद एजम व मोहम्मद अबान की ओर से उनकी मां शाइस्ता परवीन ने अर्जी दाखिल कर अपने बेटों की बरामदगी की गुहार सीजेएम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लगाई थी, उस याचिका को आज इलाहाबाद हाइकोर्ट ने खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने कहा धारा 97 की विधिक कार्रवाई चल रही है.
दोनों नाबालिग बच्चे बाल संरक्षण गृह में सुरक्षित है. कोर्ट ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं है. यह आदेश जस्टिस वी के बिड़ला और जस्टिस सत्येन्द्र सिंह की डिवीजन बेंच ने दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीयता पर आपत्ति की थी. उन्होंने कहा था इसी मामले में धारा 97 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी इलाहाबाद के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया है जो लंबित है.
ऐसी दशा में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं है. जबकि याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता डी एस मिश्र का कहना था कि याचिका में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि दोनों अवयस्क बच्चों को 24 फरवरी 2023 को अवैध रूप से गिरफ्तार कर निरुद्ध किया गया है. उनके नागरिक आजादी और प्राणों को गंभीर संकट है. ऐसी दशा में उन्हें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए.
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रयागराज के आदेश के बावजूद, अब तक पुलिस ने बच्चे कहां है स्पष्ट जानकारी नहीं दी है. कहा गया कि बाल सुधार गृह में रखा गया है; किंतु खुल्दाबाद एवं कसारी मंसारी में स्थित बाल सुधार गृहों के अधीक्षकों द्वारा कहा गया है कि उनके यहां दोनों लड़के बंद नहीं हैं. याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जीवन के अधिकार की याचिका है, विवेक की याचिका नहीं है.
अनुच्छेद 21 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की नागरिक की दैहिक एवं प्राणों की स्वतंत्रता को विधिक प्रक्रिया के प्रतिकूल वंचित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद 23 मार्च को फैसला सुरक्षित कर लिया था. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं है. कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.