‘बड़ा नेता’ बनने के लिए मुलायम ने सीएम बेटे को दिया ये मंत्र
बहुमत भी हमें उन्हीं के नाम पर मिला था। वहीं, मुलायम ने भी अखिलेश के बारे में कहा कि उनकी कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं है। घोषणा पत्र में जो भी वादे किए गए, उन्हें अखिलेश सरकार पूरा कर रही है।
मुलायम ने कहा, राजनीति में आरोप लगते रहते हैं। मुझ पर भी बहुत आरोप लगे। पैसा लेने व डकैतों से संबंध रखने के आरोप लगे।
जब उन्हें कुछ नहीं मिला तो एक महिला से मेरा नाम जोड़ दिया। महिला भी बहुत दुखी हुई। मैंने कहा, परवाह मत करो। वह महिला बहुत मजबूत थीं।
सपा सुप्रीमो का भाषण लंबा खिंच गया था। करीब 50 मिनट बाद मुख्यमंत्री ने पूर्व मंत्री नारद राय के जरिये संदेश भिजवाया कि उन्हें प्रधानमंत्री को रिसीव करने जाना है। इस पर मुलायम ने अपना भाषण बीच में ही खत्म कर दिया।
दव की जुबां पर आ गई। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं ने ठीक से काम ही नहीं किया।
यही वजह है कि हम केवल पांच सीटें ही जीत पाए। अगर मुझे पहले इसका पता होता तो मैं चुनाव ही न लड़ता। उन्होंने कहा कि एक ही परिवार के पांच एमपी हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जनता हमारे खिलाफ थी।
मुलायम शुक्रवार को जनेश्वर मिश्र पार्क में जनेश्वर मिश्र की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी लोकप्रिय होने के बावजूद बहुमत की सरकार नहीं बना पाए, लेकिन दूसरे दलों के सहयोग से सरकार बना ली।
अब भी देश में मिली-जुली सरकार बन सकती है। बसपा का नाम लिए बगैर कहा कि जिनके लोकसभा में चार सांसद थे, वे राष्ट्रीय पार्टी थे। हम 39 सीटों के बावजूद क्षेत्रीय पार्टी ही बनकर रह गए।मुलायम ने कहा, हमें भी अन्य प्रदेशों में चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि लोकसभा में सीटों के प्रतिशत के आधार पर क्षेत्रीय व राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलना चाहिए।
मुलायम ने सीएम अखिलेश यादव को नसीहत देते हुए कहा कि जब तक यूपी से बाहर नहीं निकलोगे, तब तक बड़े नेता नहीं बनोगे। बाहर जाने में क्या दिक्कत है? आज ही कार्यक्रम बना लो। मध्य प्रदेश में हम बहुत मजबूत हो सकते हैं।
वहां बड़ी सभा करो, पार्टी को मजबूती मिलेगी। मुलायम ने कहा कि सपा युवाओं की पार्टी है। हम इसे बूढ़ी नहीं होने देना चाहते। इसलिए युवाओं को अधिक मौका मिलना चाहिए। चुनाव हमारे नाम पर लड़ा गया, लेकिन हमने बाद में युवा सीएम बना दिया।
उधर, कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि जनेश्वर मिश्र समाजवादी आंदोलन की वैचारिक ताकत थे। वे जनसुनवाई भवन में आयोजित जनता दरबार में बोल रहे थे। वहीं सपा मुख्यालय में भी जनेश्वर मिश्र को श्रद्धांजलि दी गई।