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बाजीराव के महल में एक राजकुमार की आत्‍मा भटकती है

images (65)पुणे। इन दिनों मूवी बाजीराव मस्‍तानी बॉक्‍स ऑफिस पर धूम मचा रही है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि बाजीराव के महल में एक राजकुमार की आत्‍मा भटकती है। आसपास के लोगों को उसके रोने की आवाज सुनाई देती है।

पुणे के शनिवारवाड़ा महल (किला) अपनी इस खासियत के कारण दुनियाभर में चर्चित है। अब बाजीराव पर मूवी आने के बाद एक बार फिर इस महल की चर्चाएं तेज हो गई हैं।

शहर के बाजीराव रोड पर अभिनव कला मंदिर के पास बना शनिवारवाड़ा महल पेशवा राजाओं का निवास स्थान था। इस महल की नींव बाजीराव प्रथम ने शनिवार के दिन साल 1730 में रखी थी।

उस दौर में इस महल को बनाने की लागत 16,110 रुपए आई थी। इस महल में एक साथ एक हजार से ज्यादा लोग रह सकते थे। 22 जनवरी 1732 को इस महल में हिन्दू रीति रिवाज के मुताबिक गृह प्रवेश किया गया।

इतनी शानो-शौकत के बाद भी इस महल के इतिहास में एक काला पन्‍ना भी जुड़ गया। इस महल में 30 अगस्त 1773 की रात को 16 साल के नारायण राव, जो मराठा साम्राज्य के पांचवें पेशवा बन थे, की षड्यंत्र करके ह्त्या कर दी गई थी।

जब हत्यारे उनकी हत्या के लिए किले में घुसे तो नारायण राव खतरा भांपते हुए अपने कक्ष से भाग निकले। नारायण ने पूरे महल में दौड़ते हुए ‘काका माला वाचवा’ (चाचा मुझे बचाओ) की गुहार लगाई। लेकिन उन्हें बचाने के लिए कोई नहीं आया। माना जाता है कि नारायण राव की हत्या उनके चाचा ने ही करवाई थी।

कहते है कि आज भी नारायण राव की आत्मा इस किले में भटकती है और उनके द्वारा बोले गए आखिरी शब्द ‘काका माला वाचवा’ की आवाज आसपास के लोगों को सुनाई देते है। अंधेरी रातों में यह महल और अधिक डरावना लगता है।

महल की दीवारों पर महाभारत और रामायण काल के दृश्य बने हुए हैं। यहां प्रतिदिन दिन शाम को 7.15 से 8.10 तक एक विशेष लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है। जिसे देखने के लिए पुणे और आसपास के लोग यहां आते है। इस महल की पहली मंजिल पर 17-18 वीं सदी के दौरान की कई वस्तुओं और मूर्तियों को रखा गया है। वर्तमान समय में पुणे महानगरपालिका इस महल की देखभाल करता है।

यह महल साल 1818 तक पेशवा शासकों की कर्मस्थली रहा। इस महल के एक बड़ा हिस्सा 1824 में जल गया था। शनिवार वाडा में पांच दरवाजे हैं। पहले दरवाजे को दिल्ली दरवाजा, दूसरे को मस्तानी दरवाजा, तीसरे को खिड़की दरवाजा, चौथा को नारायण दरवाजा और पांचवें को गणेश दरवाजा कहते हैं।

इस महल का सब से महत्वपूर्ण हिस्सा थरोलिया दीवान खाना, डांसिंग हाल और जूना अरसा महल है।

 

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