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विमान दुर्घटना के 5 दिन बाद ब्रिटिश सरकार ने विश्लेषण किया था बोस से कैसे निपटा जाए

The Prime Minister, Shri Narendra Modi at the National Archives during the launch of the digitised files related to Netaji, in New Delhi on January 23, 2016.

नई दिल्ली : सुभाष चंद्र बोस की वर्ष 1945 में एक विमान दुर्घटना में मौत होने की जानकारी आने के पूरे पांच दिन बाद ब्रिटिश सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने नेताजी के खिलाफ एक ‘युद्ध अपराधी’ के तौर पर मामला चलाने के ‘पक्ष विपक्ष’ का मूल्यांकन किया था और सुझाव दिया था कि ‘सबसे आसान तरीका’ यह होगा कि उन्हें वहीं छोड़ दिया जाए जहां पर वह हैं और उनकी रिहायी का प्रयास नहीं किया जाए।

‘कई तरीकों में से सबसे आसान तरीका यह होगा कि उन्हें वहीं छोड़ दिया जाए जहां वह हैं और उन्हें रिहा करने के लिए नहीं कहा जाए। निश्चित तौर पर हो सकता है कि कुछ परिस्थितियों में रूसी उनका स्वागत करें।’ ‘यह रास्ता सबसे कम राजनीतिक मुश्किलें खड़ी करेगा लेकिन सुरक्षा अधिकारी मानते हैं कि कुछ परिस्थितियों में रूस में उनकी मौजूदगी खतरनाक होगी।’ यह उन निष्कर्षों में से एक था जिस पर क्लीमेंट एटली सरकार के भारत कार्यालय के होम मेंबर सर आर एफ मूडी पहुंचे थे तथा जिसे उन्होंने गृह सचिव सर इवान जेंकिंस और पंजाब के आखिरी गवर्नर को भेजा था। इसे बोस की ताइपे के ताईहोकू हवाई अड्डे के पास 18 अगस्त 1945 को हुई एक विमान दुर्घटना में मौत होने की जानकारी आने के पांच दिन बाद भेजा गया था।

मूडी का पत्र एवं 23 अगस्त 1945 की तिथि वाला एक नोट आजाद हिंद फौज के लगभग 30 हजार सैनिकों पर बोस के प्रभाव को लेकर था और उसमें कहा गया था, ‘ये सभी नस्ल, जाति एवं लभभग सभी समुदायों को समान रूप से प्रभावित करते हैं।’

नोट में ब्रिटिश गृह विभाग के समक्ष उत्पन्न ‘सबसे मुश्किल सवालों’ के बारे में कहा गया, ‘वे उनकी एक ईमानदार देशभक्त के तौर पर उनकी गहरी प्रशंसा, सम्मान करते हैं और उन पर विश्वास करते हैं। वे उन्हें भारत की पहली ‘राष्ट्रीय सेना’ के संयोजक के रूप में एक अद्वितीय एवं सक्षम नेता मानते हैं।’ मूडी ने कहा कि विभिन्न विकल्पों पर विचार किया गया जिसमें बोस पर युद्ध छेड़ने के लिए भारत, या बर्मा या मलाया में मामला चलाने या उन्हें ब्रिटेन के किसी दूसरे कब्जे वाले जगह जैसे सेशेल्स द्वीप पर नजरंबद करना शामिल है।’

यद्यपि उन्होंने उस प्रभाव के बारे में विश्लेषण किया जो कि भारत और विदेश में भारतीयों पर हो सकता है और चेतावनी दी कि उन पर मुकदमा चलाने की स्थिति में एक अशांत स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने अंतत: सुझाव दिया कि बोस को ‘नजर से दूर रखने कुछ हद तक चीजें दिमाग से बाहर होंगी और उनकी रिहाई के लिए आंदोलन कम हो सकता है।’ मूडी का पत्र और नोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आज सार्वजनिक किये गए गुप्त दस्तावेजों के 17 हजार पृष्ठों में शामिल है।

 

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