विक्रम लैंडर जैसे हादसे का शिकार हुआ जापान का स्पेसक्राफ्ट, चांद पर उतरते ही हुई क्रैश लैंडिंग
टोक्यो : जापान को भारत के विक्रम लैंडर जैसे हादसे का सामना करना पड़ा है। उसका चांद पर अपना लैंडर उतारने का सपना अधूरा रह गया। दरअसल, जापान की निजी कंपनी आईस्पेस इंक का एक लैंडर चंद्रमा के लिए रवाना हुआ था। कहा जा रहा था कि पहली बार किसी देश की निजी कंपनी का यान चांद की सतह पर उतरेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
ग्राउंड टीम का लैंडर से संपर्क टूट गया है। लैंडर का नाम हाकुतो-आर मिशन 1 है। जापानी कंपनी के इस सैटेलाइट को पिछले साल दिसंबर में फ्लोरिडा के केप केनवरल से स्पेसएक्स के रॉकेट से लॉन्च किया गया था।
संस्थापक और मुख्य कार्यकारी ताकेशी हाकामादा ने अंतरिक्ष यान से संचार बंद होने के बाद कहा कि हमारा संपर्क टूट गया है। हमें उम्मीद थी कि संपर्क फिर से जुड़ जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। इससे साफ है कि हम चंद्र सतह पर लैंडिंग नहीं कर सके और हमारा मिशन असफल रहा। उन्होंने कहा कि लैंडर को सतह पर पहुंचने में जरूर बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा।
हाकुतो-आर मिशन 1 की लंबाई 7.55 फीट है। यह यान चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर 6000 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से घूम रहा था। धीरे-धीरे इसकी गति को कम किया गया था क्योंकि चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति ने इसे खींचना शुरू कर दिया था। हाकुतो-आर मिशन की लैंडिंग चंद्रमा के उत्तरी गोलार्ध पर मौजूद मारे फ्रिगोरिस के पास होनी थी। इसके बाद M1 अपने दो पहिए वाला रोवर बाहर निकालता। बता दें, यह रोवर बेसबॉल के आकार का था।
अब तक सिर्फ अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ने ही चांद पर सफल लैंडिंग की है। वहीं, भारत और इजरायल जैसे देश भी चांद पर लैंडिंग करने में असफल रहे हैं।
इस रोवर को जापानी खिलौना कंपनी टोमी को और सोनी ग्रुप ने मिलकर बनाया था। साथ ही संयुक्त अरब अमीरात का चार पहियों वाला राशिद रोवर भी लैंडर में था। जापान के इस मिशन का दूसरा यान 2024 में लॉन्च करने की योजना है। तब आईस्पेस अपना खुद का रोवर लेकर आएगी। उस समय तक यह नासा के साथ काम करेगी ताकि स्पेस लैब ड्रेपर के पेलोड्स को चंद्रमा पर पहुंचा सके। कंपनी की प्लानिंग है कि 2040 तक चांद की सतह पर इंसानों से भरी एक कॉलोनी बनाए जाए।