दिल्लीराज्य

1000 से अधिक जाली प्रमाणपत्र जारी करने के मामले में 3 साइबर ठग गिरफ्तार

नई दिल्ली, । दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) इकाई ने देशभर में 1,000 से अधिक लोगों से कथित तौर पर जाली प्रमाणपत्र और आईडी जारी कर 17 लाख रुपये ठगने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। आरोपियों की पहचान राजस्थान के सीकर निवासी मोनू शर्मा (24), कुलदीप सिंह (27) और चित्रेश गोयल (26) के रूप में हुई है।

कॉमन सर्विस सेंटर ग्रामीण और दूरस्थ स्थानों पर सरकारी ई-सेवाओं को पहुंचाने के लिए भौतिक सुविधाएं हैं, जहां कंप्यूटर और इंटरनेट की उपलब्धता नगण्य है या आम तौर पर अनुपस्थित है।

ये केंद्र स्वास्थ्य सेवा, वित्त, शिक्षा, कृषि आदि के क्षेत्र में विभिन्न सरकारी-से-नागरिक (जी2सी) ई-सेवाओं के वितरण के लिए पहुंच बिंदु हैं। यह क्षेत्रीय, भौगोलिक, भाषाई और सांस्कृतिक सेवाओं के लिए एक अखिल भारतीय नेटवर्क है। देश की विविधता, इस प्रकार सामाजिक, आर्थिक और डिजिटल रूप से समावेशी समाज के सरकार के जनादेश को सक्षम बनाता है।

पुलिस उपायुक्त (आईएफएसओ), प्रशांत गौतम ने कहा : “सीएससी ई-गवर्नेस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड में सलाहकार (सतर्कता) अखिलेश्वर यादव ने आईएफएसओ के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि एसपीवी, सीएससी के माध्यम से नागरिकों को विभिन्न जी2सी और बी2सी सेवाओं के वितरण के लिए एक केंद्रीकृत सहयोगी ढांचा प्रदान करता है।”

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया था कि कुछ अज्ञात व्यक्ति गलत तरीके से पेश कर रहे थे कि वे ग्रामस्तरीय उद्यमी (वीएलई) के रूप में पंजीकरण की सुविधा प्रदान कर सकते हैं और एक निश्चित राशि का भुगतान करने के बाद बिना किसी परीक्षा के सीएससी आईडी आवंटित कर सकते हैं।

गौतम ने कहा, इसके अलावा, वे शिकायतकर्ता कंपनी की ओर से सीएससी आईडी, प्रमाणपत्र आदि को मंजूरी देने के लिए पैसे भी वसूल रहे थे।

जांच के दौरान पता चला कि फर्जी वेबसाइट ‘इंडियन गुरु शर्मा’ नाम से बनाई गई थी।

डीसीपी ने कहा, ”पूछताछ करने पर आईडी का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर मोनू के नाम से सब्सक्राइब होना पाया गया।

हालांकि, दोनों आरोपी पंजीकृत पते पर नहीं पाए गए।

अधिकारी ने कहा, टीम ने जांच की और कथित व्यक्तियों का पता लगाने में सफल रही।

पुलिस टीमों ने राजस्थान में छापेमारी की और मोनू को उसके सहयोगी कुलदीप के साथ गिरफ्तार कर लिया। उनकी निशानदेही पर चित्रेश को जयपुर के एक होटल से गिरफ्तार किया गया।

पूछताछ में पता चला कि चित्रेश इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड है।

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