नई दिल्ली : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस मुद्दे पर केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि नए संसद भवन में स्थापित ‘सेंगोल’ पहले ही दिन झुक गया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर तमिलनाडु सीएम स्टालिन का कटाक्ष सेंगोल के नई संसद भवन में स्थापना को लेकर था। सेंगोल को राजा के राजदंड का प्रतीक माना जाता है। यह चोल राजवंश से संबंधित है, जो दर्शाता है कि इसे धारण करने वाला राज न्याय को बनाए रखता है।
पीएम मोदी ने 29 मई को दिल्ली में नए संसद भवन की स्थापना के दौरान लोकसभा अध्यक्ष की कु्र्सी के बगल में सेंगोल को स्थापित किया था। एक तरफ जहां पीएम मोदी नई संसद भवन की स्थापना कर रहे थे, दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस सड़क पर आंदोलन कर रहे पहलवानों का प्रदर्शन जबरन बंद करवा रही थी। दिल्ली पुलिस के जवानों ने महिला पहलवानों को घसीट-घसीटकर गाड़ी में बैठाया और हिरासत में लिया। उधर, प्रदर्शन स्थल पर तोड़-फोड़ की और तंबू उखाड़ डाले। महिला पहलवानों ने जंतर-मंतर से नई संसद भवन तक मार्च निकालने की बात कही थी। जिस पर यह ऐक्शन हुआ।
तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने दिल्ली में कानून और व्यवस्था के उल्लंघन के लिए पहलवानों विनेश फोगट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया को दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर प्रतिक्रिया दी। स्टालिन ने कटाक्ष में कहा कि नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल पहले ही दिन झुक गया है। उन्होंने कहा कि जब पहलवानों ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत महिला महापंचायत के लिए नए संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने उनके साथ बुरा सलूक किया। स्टालिन ही नहीं खेल जगत से लेकर कई राजनेताओं ने महिला पहलवानों के साथ हुए बुरे सलूक पर दुख जताया है।
ट्विटर पर पोस्ट करते हुए, स्टालिन ने कहा कि महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद के खिलाफ आरोप लगाए महीनों बीत चुके हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने सिंह के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। ट्वीट किया, “पुलिस द्वारा उन्हें घसीट कर हिरासत में लेना निंदनीय है। इससे पता चलता है कि पहले ही दिन सेंगोल झुक गया है। क्या यह उचित है कि इस तरह का अत्याचार (नए संसद भवन) के उद्घाटन के दिन ही होना चाहिए जब राष्ट्रपति को दरकिनार कर दिया गया और विपक्ष ने इस कार्यक्रम का ही बहिष्कार किया।”
गौरतलब है कि चैंपियन पहलवानों ने 23 अप्रैल को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपना आंदोलन फिर से शुरू कर दिया है। सिंह पर एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में उनकी गिरफ्तारी की मांग की गई है।