रांची : दिल्ली सरकार को लेकर केंद्र की ओर से लाए गए अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की मुहिम को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने समर्थन देने का ऐलान किया है। केजरीवाल और सोरेन ने रांची में आज एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार न सिर्फ संघीय ढांचे पर प्रहार कर रही है, बल्कि जनता की भावनाओं का भी अपमान कर रही है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले ही दिन अध्यादेश लाकर जिस तरह इसे पलट दिया है, उसके खिलाफ गैरभाजपाई एकजुटता जरूरी है। गैर भाजपा दल एकजुट हो जाएं तो राज्यसभा में इस अध्यादेश को पराजित किया जा सकता है। केजरीवाल ने इस मसले पर कांग्रेस के स्टैंड का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें तय करना है कि वह देश के साथ हैं, लोकतंत्र के साथ हैं या मोदी जी के साथ हैं।
प्रेस कांफ्रेंस के पहले अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने लगभग डेढ़ घंटे तक इस मुद्दे पर आपस में चर्चा की। चर्चा में आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा, झामुमो की राज्यसभा सांसद महुआ माजी, दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी और दिल्ली विधानसभा के सदस्य विनय मिश्र भी उपस्थित रहे।
मीडिया से मुखातिब अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता के साथ अन्याय हुआ है। उसका हक छीन लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सरकार को सारी शक्तियां प्रदान की हैं, लेकिन 19 मई को सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को पलट दिया। यह दिल्ली के लोगों का अपमान हुआ। दो करोड़ लोगों को बेदखल कर दिया गया। अगर राज्यसभा में सभी गैर भाजपा सदस्य एकजुट हो जाएं तो राज्यसभा में बीजेपी को हराया जा सकता है। आज दिल्ली सरकार और वहां की जनता का हक छीना गया है। कल फिर यह किसी भी दूसरे राज्य के साथ ऐसा कर सकते हैं और उनके अधिकार छीन सकते हैं। उन्होंने हेमंत सोरेन से मिले समर्थन के लिए आभार जताया।
केजरीवाल ने इसे देश की संसद और संविधान की लड़ाई बताते हुए कहा कि वे बीजेपी के सांसदों को भी चिट्ठी लिखेंगे कि यह बीजेपी की लड़ाई नहीं है, बल्कि संसद की लड़ाई है। हमारी लड़ाई को पूरा देश देख रहा है। सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि चुनी हुई सरकार को जिस तरह से अधिकार विहीन किया जा रहा है, यह एक नई परंपरा की शुरूआत हो रही है। देश की अनेकता में एकता पर एक बड़ा प्रहार है। केंद्र सरकार संघीय ढांचे की बात करती है, लेकिन कार्य उसके विपरीत करती है। जिन राज्यों में केंद्र की सहयोगी सरकार नहीं है, उन राज्यों के साथ ऐसा ही व्यवहार हो रहा है।
सोरेन ने देश की नई संसद के उद्घाटन का जिक्र करते हुए कहा कि उस दिन लोकतंत्र के मंदिर से कुछ दूरी पर कई और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटीं। यह सिर्फ गैर भाजपा सरकारों पर प्रहार नहीं है, बल्कि देश की जनता के ऊपर प्रहार है। इस विषय को लेकर हम और गहराई से पार्टी के अंदर चर्चा करेंगे। सोरेन ने कहा कि बाबासाहेब के द्वारा स्थापित जो लोकतंत्र है उसे बचाने की आवश्यकता है। दिल्ली के अंदर बिहार, झारखंड, यूपी, महाराष्ट्र समेत पूरे देश के लोग हैं और यह निर्णय पूरे देश पर असर डालेगा। दिल्ली में जो कानून थोपने का प्रयास हो रहा है, उसपर राजनीतिक लड़ाई जरूरी है और जो कदम केजरीवाल ने बढ़ाया है, मैं चाहूंगा कि इस मुहिम में सफल हों।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि कोई हम कोई व्यक्तिगत समस्या लेकर नहीं आए हैं, यह लोकतंत्र की जो हत्या हो रही है, देश में उसको बचाने की मुहिम है। झारखंड मुक्ति मोर्चा और आम आदमी पार्टी दोनों ही आंदोलन से निकली हुई पार्टी है तो हमें एक और आंदोलन की जरूरत है।