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आज अनिल अंबानी मना रहे अपना 64 वां जन्मदिन, जानिए कैसे पीछे रहे गए कारोबार में

मुंबई (Mumbai)। देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी (industrialist mukesh ambani) के भाई यानि अनिल अंबानी का आज जन्मदिन (Anil Ambani Birthday) है, वे 64 साल के हो गए हैं। अनिल अंबानी का जन्म 4 जून 1959 को हुआ है, हालांकि अनिल अंबानी (mukesh ambani) अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी के मुकाबले वित्तीय तौर पर काफी कमजोर हैं।

दरअसल, धीरूभाई अंबानी अपने पीछे कोई वसीयत नहीं छोड़ गए थे, जिसके चलते अंबानी परिवार में बंटवारा हुआ। उस बंटवारे को कई साल का वक्त बीत चुका है और आज के हालात की बात करें तो मुकेश अंबानी जहां ना सिर्फ भारत बल्कि एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन हैं और लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं और उनकी संपत्ति 43.1 बिलियन डॉलर आंकी गई है। वहीं दूसरी तरफ अनिल अंबानी आज खराब दौर से गुजर रहे हैं और उनकी संपत्ति घटकर सिर्फ 1.5 बिलियन डॉलर रह गई है। ऐसे में ये सवाल उठना स्वभाविक है कि मुकेश अंबानी ने ऐसा क्या किया कि वह तेजी से ऊंचाईयों को छू रहे हैं। वहीं अनिल अंबानी का ग्राफ लगातार नीचे ही गिरता जा रहा है। इकॉनोमिक टाइम्स ने अपने एक लेख में दोनों भाईयों के करियर ग्राफ का एक विश्लेषण दिया है, जिसके आधार पर कुछ बातें निकलकर सामने आयी हैं। जो कि निम्न हैं।

बात साल 2000 की है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी का 70 साल की उम्र में निधन हो गया. भारतीय कारोबारी जगत के लिए ये एक बड़ा झटका था, लेकिन धीरूभाई की मृत्यु के बाद जो हुआ, उसकी कल्पना शायद देश के उद्योग जगत ने नहीं की होगी। मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी को अपने पिता धीरूभाई अंबानी से विरासत में एक बड़ा कारोबारी साम्राज्य मिला. उम्मीद जताई जा रही थी कि पिता के निधन के बाद दोनों भाई मिलकर रिलायंस के कारोबारी विरासत को विस्तार करेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

दोनों भाइयों की कड़वाहट
पिता धीरूभाई अंबानी को गुजरे अभी दो साल ही बीते थे और दोनों भाइयों के बीच कड़वाहट जगजाहिर हो गई. मुकेश और अनिल अंबानी के बीच अविश्वास की खाई इतनी चौड़ी हो गई कि मां कोकिलाबेन को दखल देना पड़ा। उन्होंने ही दोनों भाइयों के बीच कारोबार का बंटवारा किया। कोकिलाबेन ने मुकेश को ऑयल रिफाइनरीज और पेट्रोकेमिकल का कारोबार सौंप दिया, तो अनिल के हिस्से में टेलीकॉम, फाइनेंस और एनर्जी यूनिट्स आईं. इसके अलावा दोनों भाइयों ने एक-दूसरे से होड़ या प्रतिस्पर्धा नहीं करने के एक समझौते पर भी साइन किया. तय हुआ कि मुकेश टेलीकॉम कारोबार में पैर नहीं रखेंगे, जबकि अनिल ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल से दूर रहेंगे।

मुकेश के हाथ से फिसला टेलीकॉम का बिजनेस
बंटवारे में अनिल अंबानी को वो सभी कारोबार मिले, जिसके लिए वो अड़े थे, लेकिन जिस टेलीकॉम के बिजनेस को मुकेश अंबानी ने अपने हाथों से सिंचकर तैयार किया था। वो उनके हाथ से निकल गया, लेकिन मुकेश उस वक्त खामोश रहे। कारोबार के बंटवारे के बाद शुरुआत में अनिल अंबानी के लिए स्थितियां अनुकूल रहीं. लेकिन समय आगे बढ़ा और उनके कारोबार में गिरावट का दौर शुरू हो गया। फिर 2008 की मंदी ने उन्हें तगड़ा झटका दिया. दूसरी तरफ मुकेश अंबानी के हिस्से आए कारोबार ने सफलता की राह पकड़ ली थी।

क्यों बिगड़ती चली गई अनिल की वित्तीय स्थिति?
जानकारों मानना है कि अनिल पारिवारिक कारोबार के बंटवारे के फौरन बाद से ही पूंजी निगलने वाले प्रोजेक्ट में उतरने को उतारू थे. अनिल अंबानी ने हर कारोबारी फैसले महत्वाकांक्षा के फेर में पड़कर लिए गए थे. इसके अलावा वह कॉम्‍पिटीशन में बिना किसी रणनीति के कूद जाने में दिलचस्‍पी रखते रहे। अनिल अंबानी के लिए 2008 की वैश्विक मंदी ने भी बड़ा झटका दिया. एक अनुमान के मुताबिक इस मंदी में अनिल अंबानी को 31 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. इसके बाद अनिल अंबानी की वित्तीय स्थिति बिगड़ती चली गई।

मुकेश अंबानी ने मौके को भुनाया
दूसरी तरफ मुकेश अंबानी संभल-संभल कर हर एक कदम रख रहे थे। इसी बीच, दोनों भाइयों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं करने की शर्त 2010 में खत्म हो गई। इसे मुकेश अंबानी ने मौके के तौर पर लिया. उन्होंने तुरंत टेलीकॉम सेक्टर में उतरने का फैसला किया. इसकी तैयारी में अगले सात साल में उन्होंने 2.5 लाख करोड़ रुपये निवेश किए. फिर नई कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम के लिए हाई स्पीड 4G वायरलेस नेटवर्क तैयार किया।

चमक रहा मुकेश अंबानी का कारोबार
मुकेश अंबानी के इस कदम ने एक ही झटके में गांव-गांव तक उनको पहचान दी। इस दौरान मुकेश अंबानी के ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल कारोबार ने भी हर दिन नया मुकाम हासिल किया. आज मुकेश अंबानी का कारोबार चमक रहा है, लेकिन अनिल अंबानी की कंपनियां कर्ज में डूबी हैं। मुकेश अंबानी रिटेल सेक्टर में अपने कारोबार का विस्तार कर रहे हैं. इसके अलावा कई और नए सेक्टर्स में भी वो उतरने की तैयारी में हैं. दूसरी तरफ अनिल अंबानी की कंपनियों पर बैंकों का भारी कर्ज है।

बहरहाल, अनिल अंबानी संकट से उबरने के लिए काफी कोशिश कर रहे हैं और रक्षा क्षेत्र के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में असीम संभावनाओं को देखते हुए इस तरफ अपना ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

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