‘तेरे बिन लादेन’ से ही शुरू है स्ट्रगल : प्रद्युमन सिंह
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ एक इंडियन नेवी परिवार से तालुकात रखने वाला इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाने की तमन्ना लिए प्रद्युमन सिंह ने अपनी किस्मत ‘तेरे बिन लादेन’ से आजमाई। वे बी-टाउन में काफी कुछ करना चाहते हैं, लेकिन…।
खैर, अपनी ही सिक्वल फिल्म के प्रमोशन के दौरान हुई मुलाकात में प्रद्युमन ने ‘राजस्थान पत्रिका’ से एक ‘खास’ मुलाकात में अपनी रील और रियल लाइफ से संबंधित कई सारी बातें शेयर कीं, जिनके पेश हैं कुछ मुख्य अंश-
पहले तो आप खुद के बारे में विस्तार से बता दीजिए?
मेरी पैदाइश तो देहरादून की है…। मेरे पिताजी इंडियन नेवी में हुआ करते थे, इसलिए हम लोग अधिकतर मुंबई और दिल्ली में रहे हैं। फिर नेवी के ही स्कूलों में मेरी शिक्षा-दिक्षा पूरी हुई। फिर मैं होटल मैनेजमेंट के लिए बैंगलोर आईएचएम गया, लेकिन वो मैंने नहीं किया। फिर कुछ अन्य काम किए, उसके बाद दिल्ली में ही मैंने कॉल सेंटर्स में काम किया।
इस तरह फिर मैं कोलकाता गया तो मुझे वहां विफ्रो कंपनी में एक नेशनल लेवल पर जॉब मिल गई, लेकिन मुझे वहां भी संतुष्टि नहीं मिली तो उसके बाद भी… मैं खुद की किस्मत आजमाने में लगा रहा और आगे चलकर मुझे पहली फिल्म ‘तेरे बिन लादेन’ मिली। बस, वहीं से स्ट्रगल ही शुरू है…।
इसके सीक्वल में भी आप ही हैं, कैसा महसूस हो रहा है?
इसके सीक्वल में काम करके काफी अच्छा लग रहा है। वैसे भी रोज-रोज ओसामा का ढूंढऩा काफी मुश्किल है। इसके अलावा किसी भी फ्रेंचआईजी के साथ काम करने में बहुत मजा आता है, क्योंकि उनकी पूरी टीम पहले से निर्धारित होती है और सभी पहले से ही एक-दूसरे के काम करने के नजरिये को भी भली भांति जानते हैं। इसके अलावा किसी सक्सेस फिल्म के सीक्वल में काम करने का अनुभव भी काफी अलग ही रहता है।
लादेन को जानने के लिए आपने क्या उपाय किये?
इसके लिए मैंने 2008 में कुछ फिल्में देखी थीं और कई एक डॉक्यूमेंट्रीज देखी थीं। साथ ही कई सारी जानकारियां हमने किताबों और इंटरनेट से भी जुटाई थीं। यानी लादेन को समझने के लिए हमने हर संभव प्रयास किए हैं।
आप हमेशा लीक से हटकर ही फिल्में करते हैं, क्या आपको मसाला फिल्में नहीं मिलतीं?
हां, काफी हद तक यह बात सही भी है और रही बात मसाला फिल्मों की तो शायद इसके लिए इंडस्ट्री में पहले से ही कई सारे लोगों ने अपने पैर पसार रखे हैं, जहां पर हम जैसे लोगों को मौका मिलना भी थोड़ा मुश्किल सा हो गया है। इसके अलावा भी कई सारे कारण हो सकते हैं, (हंसने लगते हैं)
फिल्म में अपने रोल और उसके प्लॉट के बारे में कुछ बताना चाहेंगे?
मेरे किरदार का पद्द सिंह का है, जो पंजाब का पॉप सिंगर होता है और सिंगिंग में अपना कैरियर बनाने के लिए वह मायानगरी मुंबई आता है। लेकिन किन्हीं कारणों से उसकी दाल नहीं गल पाती है। फिर वह स्टेशन, ट्रेन आदि जगहों पर गाना गाने लगता है तो उसे लोग भिखारी समझते हैं। अब वह मुंबई से परेशान होकर पंजाब वापस जाना चाहता है… कि तभी उसकी मुलाकात शर्माजी (मनीष पॉल) से होती है। बस, यहीं से फिल्म की कहानी शुरू होती है।
भविष्य में आप खुद को इंडस्ट्री में कहां देखना चाहते हैं?
(हंसते हुए) मैं तो खुद को शाहरुख खान जैसा बनता देखना चाहता हूं, लेकिन ऐसा सभी के लिए संभव भी नहीं है। दरअसल, मैं इंडस्ट्री में खाली बैठना नहीं चाहता, बस मुझे साल के बारह महीने काम मिलता रहे। मैं खुद को खुशनसीब समझूंगा। इतना बड़ा स्टारडम तो मैंने कभी देखा भी नहीं, उम्मीद थी कि मेरी पहली फिल्म के बाद मुझे ठीक-ठाक काम मिलने लगेगा, लेकिन वह भी मेरी किस्मत में संभव नहीं हो सका।
आपका कोई ड्रीम रोल?
(चौंकते हुए…) आज से 20 वर्ष पहले भी मेरा यही सपना था कि मैं एक रेडलर का रोल निभाऊं, जो बैट मैन की कहानियों में हुआ करता है…। एक तरह के साइंटिस्ट का… बस, वही मेरा ड्रीम रोल है। देखते हैं पूरा हो भी पाता है या…।
निर्देशक अभिषेक शर्मा के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
वे मेरे गुरु हैं। वे बहुत ही अच्छे निर्देशक होने के साथ ही एक नामचीन लेखक भी हैं। इस तरह से वे हर बात में कुछ अलग ही करना चाहते हैं…। अब हर पल कुछ नया करने के लिए वे सामने वाले से काफी उम्मीदे रखते हैं, जहां पर कुछ डर सा लगता है। लेकिन वे निर्देशन में हर संभव प्रयास करने में लगे रहते हैं।