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मॉनसून में और देरी कराएगा तूफान ‘बिपरजॉय’, आज तपेंगे UP-बिहार

नई दिल्ली : भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि दक्षिणपूर्व अरब सागर के ऊपर बना गहरे दबाव का क्षेत्र मंगलवार शाम चक्रवाती तूफान बिपरजॉय में तब्दील हो गया। बिपरजॉय नाम बांग्लादेश द्वारा दिया गया है। शाम साढ़े पांच बजे यह गोवा से लगभग 920 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम, मुंबई से 1050 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम, पोरबंदर से 1130 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपश्चिम और कराची से 1430 किलोमीटर दक्षिण में स्थित था। इसके लगभग उत्तर की ओर बढ़ने और धीरे-धीरे एक बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है। इस दौरान केरल-कर्नाटक तटों और लक्षद्वीप-मालदीव इलाकों में छह जून और कोंकण-गोवा-महाराष्ट्र तट पर आठ से 10 जून तक समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठने की संभावना है। समुद्र में उतरे मछुआरों को तट पर लौटने की सलाह दी गयी है।

मंगलवार को IMD की तरफ से जारी अपडेट के अनुसार, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को गर्मी से राहत के आसार नहीं हैं। यहां अगले 5 दिनों तक हीटवेव की स्थिति बन सकती है। इसके अलावा दक्षिण भारतीय राज्य केरल, लक्षद्वीप, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में गरज और तेज हवाओं के साथ बारिश के आसार हैं। साथ ही तटीय आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में भी छिटपुट बारिश हो सकती है। उत्तर पश्चिम हिस्सों में भी बुधवार को कुछ स्थानों पर मध्यम बारिश हो सकती है। मणिपुर में 7 जून, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में 10 जून को बारिश के आसार हैं। अगले 5 दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम भारत के मैदानों में अधिकतम तापमान 2-4 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है। जबकि, तीन दिनों में मध्य भारत में 2-3 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हो सकता है। 10 जून तक बिहार में भी लू की संभावनाएं हैं। पूर्व उत्तर प्रदेश में 7 से 10 जून और पश्चिम उत्तर प्रदेश में 8-10 जून के बीच हीट वेव की स्थिति बन सकती है।

आईएमडी ने सोमवार को कहा था कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बनने और इसके गहरा होने से मॉनसून का केरल तट की ओर आगमन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। हालांकि, मौसम विभाग ने केरल में मॉनसून के आगमन की संभावित तारीख नहीं बताई। निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ‘स्काइमेट वेदर’ ने बताया कि केरल में मॉनसून आठ या नौ जून को दस्तक दे सकता है लेकिन इस दौरान हल्की बारिश की ही संभावना है। उसने कहा, अरब सागर में मौसम की ये शक्तिशाली प्रणालियां अंदरुनी क्षेत्रों में मॉनसून के आगमन को प्रभावित करती हैं। इसके प्रभाव में मॉनसून तटीय हिस्सों में पहुंच सकता है लेकिन पश्चिम घाटों से आगे जाने में उसे संघर्ष करना पड़ेगा।

स्काईमेट ने पहले मॉनसून के 7 जून को केरल में दस्तक देने का पूर्वानुमान जताया था और यह तीन दिन पहले या बाद में हो सकता है। स्काईमेट ने कहा था, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के इस समयावधि के भीतर आने की संभावना है। मॉनसून की शुरुआत तब मानी जाती है जब लक्षद्वीप, केरल और तटीय कर्नाटक में लगातार दो दिनों में निर्धारित वर्षा होती है। तदनुसार, वर्षा का प्रसार और तीव्रता 8 जून या 9 जून को इन आवश्यकताओं से मेल खा सकती है। हालांकि, मॉनसून की शुरुआत जोरदार तरीके से नहीं हो सकती है। आईएमडी में वरिष्ठ वैज्ञानिक डी.एस. पई ने बताया कि केरल में सोमवार को भी अच्छी बारिश हुई और स्थितियां अगले दो से तीन दिन में मॉनसून के आगमन के लिए अनुकूल हैं। पई ने कहा कि चक्रवाती तूफान और बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न दाब के कारण दक्षिणी प्रायद्वीप में बारिश होगी। उन्होंने कहा कि चक्रवात के कमजोर होने के बाद मॉनसून दक्षिणी प्रायद्वीप से आगे बढ़ेगा।

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आम तौर पर एक जून को केरल में प्रवेश करता है जिसमें सात दिन आगे या पीछे हो सकता है। मई के मध्य में, आईएमडी ने कहा था कि मॉनसून चार जून तक केरल में दस्तक दे सकता है। दक्षिण-पूर्वी मॉनसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में तीन जून, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को पहुंचा था। आईएमडी ने पूर्व में कहा था कि अल नीनो की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।

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