भुवनेश्वर : ओडिशा के बालासोर में हुए तीन-ट्रेन दुर्घटना के बाद भी पीड़ितों के परिजन अभी भी अपने प्रियजनों के शवों का इंतजार कर रहे हैं। मृतकों के परिजन एम्स और पांच अन्य केंद्रों में वर्तमान में रखे गए शवों का दावा करने के लिए अपने DNA नमूने देने के लिए भुवनेश्वर एम्स में एकत्र हुए हैं।
बता दें कि ओडिशा में रेल हादसे को 6 दिन बीत जाने के बाद भी लोग अपने परिजनों के शव का इंतजार कर रहे हैं। लगभग 100 शवों की पहचान की पुष्टि नहीं हो पाई है। लोग भूखे-प्यासे भुवनेश्वर एम्स के बाहर बैठे हैं। दरअसल शवों की पहचान करने के लिए दावा करने वालों का डीएनए सैंपल भुवनेश्वर एम्स में लिया गया है। एम्स के अलावा पांच केंद्रों पर लोगों के डीएनए सैंपल लिए जा रहे हैं।
एक पीड़ित के पिता का कहना है कि अस्पताल वालों ने पहचानने के बाद भी उनके बेटे का शव नहीं दिया। कहा गया कि डीएनए रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। उन्होंने कहा, मेरा बेटा हादसे में मारा गया। उसके साथ तीन और लोग थे। दो मिल गए हैं और एक अस्पताल में है। मैंने अपने बेटे का शव पहचान लिया लेकिन मुझे दिया नहीं गया। उसके हाथ पर धागा बंधा था। ये लोग कह रहे हैं कि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही शव दिया जाएगा। मेरे पास खाने के भी पैसे नहीं हैं।
बहुत सारे लोग डीएनए सैंपल देने के बाद अपने घर लौट गए। उनके पास रुकने की कोई व्यवस्था नहीं थी। वहीं बहुत सारे लोगों ने अपने परिजनों के शवों की भी आस छोड़ दी है। एक शख्स ने कहा, अब तक मेरे भाई की लाश नहीं मिली है। मैं भी सोचता हूं घर लौट जाऊं। मैंने बहुत कोशिश कर ली। तीन दिन हो गए हैं। मेरा डीएनए लिया गया है और घर वापस जाने को कहा गया है।
अब तक कुल 30 डीएनए सैंपल लिए गए हैं। इस बीच सरकार ने सभी डीएनए सैंपल्स को दिल्ली एम्स भेजने का फैसला किया है। शव अब भी कोल्ड रूम मे रखे हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में 288 लोगों की जान गई है। 193 शवों को भुवनेश्वर भेजा गया था और 94 को बालासोर। एक शख्स की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। भुवनेश्वर भेजे गए 193 शवों में से 110 की पहचान हो गई है। 83 की पहचान होना बाकी है। 200 घायलों का इलाज अलग-अलक अस्पतालों में चल रहा है। इस दुर्घटना में करीब 1000 लोग घायल हो गए थे।