नई दिल्ली : दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब घोटाले मामले में जेल में बंद हैं. उन्हें इस साल फरवरी में सीबीआई (CBI) ने गिरफ्तार किया था. लेकिन 103 दिन बाद वह पुलिस कस्टडी में अपनी बीमार पत्नी सीमा से मिले. पति से मुलाकात के बाद सीमा सिसोदिया ने एक पत्र जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें मनीष पर फक्र है.
पत्र में कहा गया कि जब ये लोग पार्टी बना रहे थे तो उस वक्त बहुत से शुभचिंतकों से सुनने को मिला था कि पत्रकारिता और आंदोलन तक तो ठीक है पर राजनीति के चक्कर में मत पड़ो. यहां पहले से बैठे लोग काम करने नहीं देंगे और परिवार को परेशान करेंगे. लेकिन यह मनीष की जिद थी. उन्होंने अरविंद और अन्य लोगों के साथ मिलकर पार्टी बनाई और काम करके दिखाया. इन लोगो की राजनीति ने बड़े-बड़े लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी की बात करने पर मजबूर किया.
उन्होंने पत्र में कहा कि पिछले तीन महीने में दुनिया की शिक्षा का इतिहास पढ़ डाला है. किस देश के किस नेता ने शिक्षा पर जिद करके काम किया और फिर वो देश आज कहां से कहां पहुंच गए हैं. जापान, चीन, सिंगापुर, इजरायल और अमेरिका. भारत की शिक्षा में क्या अच्छा हुआ और क्या कमी रह गई. आज की हमारी मुलाकात में मेरी तबियत के साथ-साथ ये भी बातें हुईं.
पत्र में कहा गया कि आज वही जिद फिर से मनीष के चेहरे पर और बातों में दिखाई दीं, जो आदमी पिछले 103 दिन से एक दरी बिछाकर फर्श पर सो रहा था. लेकिन इन सबके बावजूद आज भी उनकी आंखों में एक ही सपना है, शिक्षा के जरिए देश को खड़ा करना है, केजरीवाल के साथ मिलकर ईमानदार राजनीति करके दिखानी है. भले ही कितनी मुसीबतें आएं, कितनी साजिशें हों.
बता दें कि इससे पहले तीन जून को सिसोदिया को अपनी बीमार पत्नी से मिलने के लिए सात घंटों के लिए जमानत दी गई थी. लेकिन सिसोदिया तिहाड़ जेल से बाहर निकलकर अपनी पत्नी से मिलने घर पहुंचे थे. लेकिन सिसोदिया के घर पहुंचने से पहले ही उनकी पत्नी को तबीयत बिगड़ने पर लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.
सीमा सिसोदिया ने पत्र में कहा कि मुझे फक्र है कि मेरा पति आज भी अपनी उसी जिद और तेवर में है. अरविंद और मनीष के खिलाफ साजिशें कर ये लोग खुश होंगे कि अरविंद के सिपाही को जेल में डाल दिया है. पर मैं देख रही हूं कि तिहाड़ जेल की एक कोठरी में 2047 के शिक्षित और समृद्ध भारत का सपना मजबूती से बुना जा रहा है. झूठ और साजिशों के सामने ईमानदारी और शिक्षा की राजनीति का सपना जरूर जीतेगा.