दुनिया के 6 सबसे खतरनाक ड्रोन, इनमें से दो हैं भारत के पास
नई दिल्ली: 15 जून 2023 को भारत सरकार की रक्षा अधिग्रहण परिषद ने अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से प्रीडेटर एमक्यू-9बी रीपर (MQ-9B Reaper) ड्रोन खरीदने का प्रस्ताव पास कर दिया। भारत अब अमेरिका से 30 ड्रोन खरीदेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 24 जून तक अमेरिका के दौरे पर है और डील को पीएम मोदी की प्रस्तावित यात्रा से जोड़ा जा रहा है। भारत $3 बिलियन में एमक्यू-9 ड्रोन अमेरिका से खरीदेगा। जिसके बाद आर्मी, एयरफोर्स को 8-8 और नेवी को 14 ड्रोन मिलेंगे। एमक्यू-9बी ड्रोन को दुनिया का सबसे घातक ड्रोन माना जाता है। फिलहाल एमक्यू-9 ड्रोन का इस्तेमाल अमेरिका सहित जापान और ऑस्ट्रेलिया कर रहे हैं। इनके अलावा बेल्जियम और यूनाइटेड किंगडम इसे खरीद चुके हैं। अब ये भारत के सुरक्षा बेड़े में भी शामिल हो जायेंगे।
क्या है इस ड्रोन की खासियत?
एमक्यू-9बी रीपर्स ड्रोन के दो वैरिएंट हैं। जिन्हें स्काई गार्डियन और सी गार्डियन के तौर पर जाना जाता है। भारत अपने तीनों सशस्त्र बलों के लिए ‘सी गार्डियन’ वैरिएंट खरीदेगा। ये ड्रोन हर प्रकार के मौसम में 30 घंटे से 40 घंटे तक सैटेलाइट के सहारे उड़ान भर सकते हैं। इनकी रफ्तार 388 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है। साथ ही इनकी रेंज 1900 किमी तक है।
जनरल एटॉमिक्स की वेबसाइट के मुताबिक, इस ड्रोन के जरिए समुद्री क्षेत्र में दिन या रात में होने वाली हर एक्टिविटी की रियल टाइम में जानकारी मिल सकती है। यह ड्रोन इन-बिल्ट वाइड-एरिया मैरीटाइम रडार, ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर्स और एक सेल्फ कंटेन्ड एंटी सबमरीन वॉरफेयर यानी ASW किट से लैस हैं।
यह ड्रोन 2,721 किलोग्राम की मिसाइलों को लेकर उड़ान भर सकता है। 40 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। इसलिए दुश्मन इस ड्रोन को आसानी से पकड़ नहीं पाते। इसमें दो लेजर गाइडेड एजीएम-114 हेलफायर मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। इसे ऑपरेट करने के लिए जमीन पर दो लोगों की जरूरत होती है।
दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रोन
बायराकतार टीबी2 (Bayraktar TB2) – यूरोपीय यूनियन की आर्म्ड फोर्स वेबसाइट के मुताबिक यह तुर्किये द्वारा बनाया गया मानवरहित लड़ाकू हवाई ड्रोन है। इसका तुर्किये की एयरोनॉटिकल कंपनी बायकर मकिना ने 22 नवंबर 2014 को सफल परीक्षण किया और 16 जून 2015 को तुर्किये सशस्त्र बलों को यह दिया गया। यह बिना रूके हवा में 24 घंटे तक 8,200 मीटर की ऊंचाई पर 150 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इसमें लेजर गाइडेड मिसाइलें तैनात हैं, जो हवा से हवा में मार कर सकती हैं। इसका वजन तकरीबन 650 किलोग्राम है।
सीएच-5 – चीनी डिफेंस के मुताबिक इस ड्रोन को चीन के एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन द्वारा बनाया गया है। यह ड्रोन 480 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से 1,000 किलोग्राम तक के हथियार को लेकर 9 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। इसकी मारक क्षमता की दूरी 10 हजार किमी बताई जाती है। वहीं यह 60 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन भी लेजर गाइडेड मिसाइलों से लैस होता है।
सिरियस – यूएसए विजन डॉट कॉम के मुताबिक रूस में बने ये मानवरहित ड्रोन 180 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से 23 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकते हैं। एक बार की उड़ान में यह 3,000 किमी की दूर तय करते हैं। साथ ही इसकी मारक दूरी की क्षमता 620 मील है। इनका अधिकतम टेकऑफ वजन 2.75 टन बताया गया है। ये तकरीबन 8 तरह की छोटी मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है।
हेरॉन टीपी – इजरायल में बनी हेरॉन ड्रोन की रेंज 7,400 किमी से भी ज्यादा है। यह 30 घंटे तक लगातार जमीन से 14 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। हेरॉन की अधिकतम स्पीड 482 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यह 2,700 किलोग्राम तक के हथियार आसानी से ले जा सकता है। इसके हथियारों में गाइडेड बम और हवा से जमीन पर हमला करने वाली मिसाइलें शामिल हैं। हेरॉन ड्रोन को एरियल रि-फ्यूलिंग, मिसाइल डिफेंस, लबी दूरी तक हो सकने वाली सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल फिलहाल भारतीय सेना कर रही है।